भारत को मनाने के लिए चीन ने चला एक नया दाव! जाने क्या है ये दाव और क्या ये दाव होगा क़ामयाब?

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Nikhil Talwaniya
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भारत को मनाने के लिए चीन ने चला एक नया दाव! जाने क्या है ये दाव और क्या ये दाव होगा क़ामयाब?

चीन अपनी महत्वाकांक्षी योजना “बेल्ट एंड रोड” में कई छोटे बड़े देशों को शामिल कर चुका है छोटे देशों को वह कई बार बड़े लोन का वादा करके या विकास का सपना दिखाकर अपने पक्ष में कर लेता है। चीन शुरू से ही भारत को इस योजना में शामिल करने के लिए मना रहा है लेकिन भारत इस बारे में अपने रुख पर कायम है। चीन ने इसके लिए एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सभा का आयोजन किया था और भारत को भी निमंत्रण दिया था। भारत ने इसे अस्वीकार करते हुए चीन के सामने अपना पक्ष रखा था।

भारत की इस योजना के बारे में चिंताओं का जवाब देते हुए चीन ने कहा है कि भारत को “बेल्ट एंड रोड” योजना के बारे में ग़लतफहमी है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह योजना आर्थिक सहयोग की परियोजना है इसमें किसी क्षेत्रीय विवाद के लिए कोई जगह नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह योजना समावेशी आर्थिक विकास की पहल है इसमें समुद्री या क्षेत्रीय मुद्दों का कोई स्थान नही है।

पिछले दिनों आई कुछ खबरों के अनुसार भारत बेल्ट एंड रोड योजना की आगामी बैठक का बहिष्कार कर सकता है। इस पर चीन की ओर से स्पष्ट किया गया था कि बेल्ट एंड रोड योजना पर ग़लतफ़हमियाँ हो सकती हैं और इसके कारण निर्णय भी गलत हो सकते हैं।

एक ओर दुनिया के कई देश बेल्ट एंड रोड योजना का समर्थन कर रहे हैं वही भारत इसका विरोध कर रहा है। भारत का यह रुख एकदम जायज़ है क्योंकि बेल्ट एंड रोड योजना के अंतर्गत जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बनेगा वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगा। भारत कश्मीर पर अपनी दावेदारी करता है इसलिए पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में बिना उसके अनुमति के कोई भी कार्य उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।

ग़ौरतलब है कि 2013 में सत्ता में आने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, खाड़ी के क्षेत्र, यूरोप और अफ्रीका को एक मुख्य सड़क या समुद्र मार्ग से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। भारत ने 2017 में हुई इसकी पहली बैठक का विरोध किया था। अब दूसरी बैठक भी अप्रैल में होने वाली है जिसमें चीन भारत को मनाने की कोशिश कर रहा है। इस बैठक में चीन ने 100 देशों के प्रतिनिधियों तथा बड़े नेताओं को आमंत्रित किया है।

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