मुसलमानों की भीड़ कश्मीर से लेकर सूरत तक पत्थरबाजी करती है। मुसलमान झुंड बनाकर मंदिरों में तोड़फोड़ करते हैं। बुलंद शहर में तो एक मुस्लिम ने शिव मंदिर में घूसकर शिवलिंग पर पेशाब तक कर दी। दिल्ली के दुर्गा मंदिर में पत्थरबाजी और तोड़फोड़ की गई। वहां पर मंदिर में मुसलमान के द्वारा पेशाब करने की खबर आई थी। इन सब घटनाओं से सवाल पैदा होता है कि आखिर देश के मुसलमान चाहते क्या है।

पिछले कुछ समय से मुसलमानों ने देश के सौहार्द को बिगाड़ने वाले कई काम किये हैं। जिससे देश में तनाव का माहौल पसरा हुआ है। हरियाणा के एक गाँव में वीर बहादुर सिंह बैरागी की मूर्ति तोड़ी गई तथा किशोरदास मंदिर पर हमला किया गया। बिजनौर के सबदलपुर गाँव में भी चामुण्डा देवी मंदिर में मुसलमानों ने उत्पात मचाया। यहाँ पर पुलिस अपराधियों की तलाश कर रही है। हरियाणा के ही मित्रोल गाँव में तुलसी कुण्डम मंदिर में हनुमान और गणेश जी की मूर्तियों पर पत्थर फेंके गए।

जून में पीलीभीत उत्तर प्रदेश के रोहन्या गाँव में मुसलमानों की एक भीड़ ने मंदिर में सिर्फ इसलिए तोड़ फोड़ कर दी क्योंकि वहां पर लाउडस्पीकर बज रहा था। इसी महीने तमिलनाडु के मुजीबुर रहमान को बृहदेश्वर मंदिर में देवी की हज़ार साल पुरानी मूर्तियों के पास अश्लील फोटो लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। यहाँ के तिरुवरुर ज़िले के पेरियानायकी अम्मन मंदिर में 25 मूर्तियों को भी खंडित किया जा चुका है। बीते सप्ताह बुलंदशहर में एक इरशाद नाम के युवक ने भगवान महादेव के मंदिर पर पेशाब कर दिया था। देहरादून की एक और घटना सामने आ रही है जिसमें विरोध प्रदर्शन कर रहे हिन्दू संगठनों पर इमानुल्ला इलाकों पर मुसलमानों के भीड़ के द्वारा धारदार हथियारों से हमला किया गया था।

ये वे मामले हैं जिनमें पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसके अलावा भी कई मामले हैं जिनमें स्थानीय पुलिस ने मामले को समझाबुझाकर शांत कर दिया। सवाल उठता है कि दिन में पांच बार लाउड स्पीकर से अजान करने वालों को मंदिर में बजने वाले लाउडस्पीकर से दिक्कत कैसे हो सकती है? मुसलमानों का यह दोगला रवैया समझ के परे है।

पिछले चालीस दिनों के भीतर ऐसी असंख्य घटनाएँ हुई हैं जिनसे मुसलमानों की उन्मादी सोच उजागर हुई है। इन मामलों में कही केस दर्ज है तो कही मामला दबा दिया गया है। इन घटनाओं के द्वारा मुसलमान धीरे-धीरे देश में अशांति और तनाव का माहौल पैदा कर रहे हैं।

जहाँ एक ओर पूरी दुनिया इस्लामी आतंक से परेशान है वहीं वामपंथी और कांग्रेस ने नए टर्म भगवा आतंक को गढ़कर उन्मादियों के हौसले बढ़ा दिए हैं। देश में लोग जब गौ तस्करों को रोकने की कोशिश करते हैं तो उन्हें असहिष्णु कहा गया। अब 'जय श्री राम' को लेकर भी पैरेलल गढ़ा जा रहा है।

भारत की धन, संपत्ति, संस्कृति, संसाधन, ऐतिहासिक धरोहर और अस्मिता पर कई बार बड़े हमले किये गए हैं, लेकिन भारत आज भी मज़बूती के साथ डटा हुआ है। धर्म, अध्यात्म और समावेश की यह धरती आज सांप्रदायिक उन्माद को अपनी आँखों से देख रही है। भारत पर हमले का स्वरूप बदला है लेकिन इसका कंटेंट वही है। इसे रोका जाना चाहिए और देश में यह सब बंद होकर रहेगा।

भारत में आज मुसलमानों के द्वारा कभी मूर्ति तोड़कर, कभी पत्थरबाजी करके या कभी भीड़ के द्वारा हंगामा करके पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाता है यह जानने के लिए कि हिन्दू सोया हुआ है या जाग गया है। यदि इन घटनाओं पर हिन्दू कुछ नही बोलेगा तो फिर उन्मादियों के द्वारा एक कदम बढ़कर हमला किया जायेगा। यदि मज़हबी उन्मादियों को पायलट प्रोजेक्ट के ही स्तर पर नही रोका जाता है तो उनके हौसले और बुलंद हो जायेंगे।