नाटो यानी नार्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन एक सैन्य गठबंधन है। इसकी स्थापना 04 अप्रैल 1949 में हुई और इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में स्थित है। इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था है, जिसके अनुसार इसके सदस्य राज्य के बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग हेतु सहमत होंगे।
अब बता दें कि भारत को अमेरिकी संसद ने नाटो देशों के समान ही दर्जा देने वाले प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। भारत के नाटो देशों जैसी लीग में शामिल होने से अब रक्षा संबंधों के मामले में अमेरिका भारत के साथ वैसे ही डील करेगा जैसा वह नाटो के अपने अन्य सहयोगी देशों जैसे इजरायल और साउथ कोरिया के साथ करता है।
पिछले सप्ताह ही नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन ऐक्ट को वित्त वर्ष 2020 हेतु अमेरिकी सेनेट ने मंजूरी दी थी। इस विधेयक में अब संशोधन के प्रस्ताव को भी स्वीकृति मिल गई है। मार्क वॉर्नर और सेनेटर जॉन कॉर्निन की तरफ से पेश हुए विधेयक में यह कहा गया था कि हिंद महासागर में भारत के साथ आतंक के खिलाफ संघर्ष, मानवीय सहयोग, काउंटर-पाइरेसी, मैरीटाइम सिक्यॉरिटी पर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए अब जब यह विधेयक पारित हुआ तो वॉर्नर और हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन ने सेनेटर कॉर्निन का अभिनंदन किया गया।
हिंदू अमेरिकी फाउंडेश के एमडी समीर कालरा ने बोला कि, 'भारत को गैर-नाटो देश के दर्जे से ऊपर लाना बहुत महत्वपूर्ण है। यह भारत और अमेरिका के मध्य अभूतपूर्व संबंधों की शुरुआत है।' हिंदू अमेरिका फाउंडेशन की तरफ से आयोजित हुए एक कार्यक्रम के दौरान शेरमैन ने बोला कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमने भारत और अमेरिका के मध्य के संबंधों के महत्व को अच्छी तरह से समझा है।
2016 में भारत को अमेरिका ने बड़ा रक्षा साझीदार समझा था। इस दर्जे का मतलब है कि भारत उससे ज्यादा अडवांस और आवश्यक तकनीक वाले हथियारों को खरीदी कर सकता है।