जाने आखिर क्यों भारत का प्रतिद्वंद्वी चीन भी चाहता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत?

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Punctured Satire
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जाने आखिर क्यों भारत का प्रतिद्वंद्वी चीन भी चाहता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत?

2019 के एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है। पिछले 5 सालों में मोदी के नेतृत्व में भारत चीन के रिश्तों में काफी सुधार आया है। अख़बार निक्केई एशियन रिव्यु के अनुसार यदि एग्जिट पोल के अनुसार मोदी को इन लोकसभा चुनावों में जीत मिलती है तो चीन के साथ भारत के रिश्तों में गर्मजोशी बनी रहेगी।

50 सालों के बाद 2017 में भारतीय तथा चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर 1 महीने तक तनाव का माहौल रहा, लेकिन सरकार की सूझबूझ से मामले को शांत कर लिया गया। डोकलाम में भारत ने अपनी शक्ति और सूझबूझ का परिचय दिया। मोदी सरकार ने जापान, यूएस और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन की सैन्य ताकत से निपटने के लिए वार्ता में भाग लिया। मोदी सरकार के प्रयासों के बाद अब चीन और भारत के बीच कोई गंभीर टकराव नही है।

चीन को शांत रखने के लिए ही पीएम मोदी ने चीन के स्पेशल कूटनीतिज्ञ को अपना विदेशी सचिव नियुक्त किया है। उन्होंने 2018 में शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद यह कदम उठाया था।

दिल्ली के ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज’ के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार के अनुसार मोदी का यह कदम उनके इतिहास के सबसे महान नेता बनने की इच्छा से प्रेरित था। उनके अनुसार पीएम मोदी जानते हैं कि देश की सैन्य क्षमता के साथ उसकी आर्थिक क्षमता का भी मज़बूत होना बहुत ज़रूरी है। यही कारण है कि पीएम मोदी चीन से निवेश और तकनीक लाने की नीतियों पर काम कर रहे हैं।

व्यापार के मामले में चीन और भारत एक दूसरे के बड़े साझेदार हैं। भारत चीन को मिनरल्स बेचता है वहीं चीन भारत को मशीनरी बेचता है। मोदी सरकार की नीति और निर्णयों के बलबूते ही भारत में चीन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले साढ़े चार सालों में 1.7 अरब डॉलर रहा। मनमोहन सरकार के 10 सालों के कार्यकाल में चीन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश महज 400 मिलियन डॉलर रहा था।

चीन में भारत के पूर्व राजदूत अशोक कंठा के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग से 15 बार मुलाकात की, जबकि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से सिर्फ 3 बार ही मिले। यह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन से अपने संबंधों को लेकर कितने गंभीर हैं।

‘चाइनीज एसोसिएशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज’ के शोधकर्ता कियान फेंग ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि 2019 के लोकसभा चुनाव मोदी जीतते हैं तो दोनों देशों के मध्य सकारात्मक रिश्ते आगे भी मज़बूती से जारी रहेंगे। फेंग के अनुसार चीन के साथ अच्छे रिश्ते भारत के हित में है। उन्होंने आगे कहा कि भले ही भारत की प्रमुख पार्टियाँ मतदाताओं को लुभाने के लिए चीन पर आक्रमण जैसे बातें करती हों लेकिन उन्हें पता है कि चुनावों के बाद इन सब बातों का कोई मतलब नही होता है।

चीनी मीडिया ने मोदी के फिर से सत्ता में आने के प्रति आशा व्यक्त की है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन भारत के किसी भी बड़े हित को नुकसान नही पहुंचा रहा है, ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंधों में मधुरता बने रहने की उम्मीद है।

भारत और चीन के बीच मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मुद्दे पर टकराव जारी है। चीन का इस बारे में रवैया अड़ियल रहा है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार पश्चिमी मीडिया ने मसूद के मुद्दे को बहुत ज़ोर शोर से उठाया है क्योंकि पश्चिम के देश भारत चीन को दोस्ती नही चाहते हैं।

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