लोकसभा कि ही तरह राज्यसभा से भी कल नागरिकता संशोधन बिल पास करवा लिया गया और अब यह जल्द ही कानून की शक्ल ले लेगा। इसके पास होने से विपक्षी दल के नेता तो खुश नहीं ही हैं साथ ही साथ जिन तीन देशों का जिक्र इस बिल में है वो तीन देश भी इससे नाराज हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों देशों ने इस बिल पर अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है।
पाकिस्तान ने इस बिल को पक्षपात पूर्ण बताते हुए कहा कि 'यह बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है। इस बिल के जरिए भारत गलत मंशा से उसके आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहा है। हम इसकी भी निंदा करते हैं कि भारत पड़ोसी देशों के कथित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के ठिकाने के तौर पर खुद को पेश करने की कोशिश कर रहा है।'
बांग्लादेश ने भी इस बिल पर आपत्ति दर्ज करवाई है। बांग्लादेशी विदेश मंत्री एके अब्दुल मेमन ने इस बाबत कहा कि "भारत ऐतिहासिक तौर पर एक सहिष्णु देश रहा है जिसने धर्मनिरपेक्षता में यकीन जताया है लेकिन अगर वे इस रास्ते से भटकते हैं तो उनकी ऐतिहासिक छवि कमजोर पड़ जाएगी।' उन्होंने अपने देश की तारीफ करते हुए कहा कि "बांग्लादेश जैसे कुछ ही देश हैं जहां सांप्रदायिक सौहार्दता कायम है। अगर अमित शाह कुछ महीने बांग्लादेश में गुजारें तो उन्हें हमारे देश की सांप्रदायिक एकता के बारे में पता चल जाएगा।"
अफगानिस्तान ने भी इस बिल पर अपनी नाराज़गी दर्ज करवाई है। अफगानिस्तान के राजदूत ताहिर कादिरी ने इंडिया टुडे से इस विषय पर बात करते हुए कहा कि 'पिछले कुछ सालों से सरकार अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के हमारे भाइयों और बहनों का पूरा सम्मान कर रही है। हमारे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है और हमारी संसद में उनके लिए सीटें आरक्षित हैं और प्रेजेडेंशियल पैलेस में भी उनके प्रतिनिधि मौजूद हैं।
पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान की तुलना को गलत बताते हुए ताहिर कादिरी ने कहा कि 'अफगानिस्तान को पाकिस्तान जैसे देशों के साथ नहीं रखा जा सकता है। अल्पसंख्यकों की बात करें तो अफगानिस्तान चार दशकों से गृह युद्ध में जूझता रहा है और आप समझ सकते हैं कि युद्ध में क्या होता है। अफगानिस्तान के सभी नागरिक युद्ध पीड़ित रहे हैं और इसमें उनकी धार्मिक पहचान की कोई भूमिका नहीं थी।'