केंद्र सरकार ने अब उन सभी पूर्व सांसदों को सरकारी आवासों से बाहर निकालना शुरू कर दिया है, जो अवधि समाप्त होने के बाद भी आवासों में रह रहे थे। ये समस्त पूर्व सांसद सरकार द्वारा दिए गए समय की अवधि होने के बाद भी सरकारी आवासों में टिके हुए थे। अब सरकार ने दिल्ली पुलिस की सहायता से उन्हें निकाल बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की है। आवास खाली न करने के पीछे इन पूर्व सांसदों ने कई बहाने बनाए थे।

जिसमे से कुछ पूर्व सांसदों ने कहा था कि उनके बच्चे दिल्ली में पढ़ रहे हैं, जिस कारण वह सरकारी आवास खाली नहीं कर सकते। इसके अलावा कुछ सांसदों ने अपने किसी परिवारजन के स्थानीय अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती होने का बहाना बनाया। इतना ही नहीं कुछ अन्य पूर्व सांसदों ने अजीबोगरीब तर्क देते हुए कहा था कि वे दिल्ली में कहीं और आवास नहीं खोज पा रहे हैं, जिस वजह से वे सरकार आवास खाली नहीं कर सकते। अंत में मंत्रालय ने शहरी मामलों के लिए दिल्ली पुलिस की सहायता ली है जिसमे कुछ पूर्व सांसदों द्वारा कब्जाए गए सरकारी आवास को खाली भी करा लिया गया है।

बता दें कि अक्टूबर 4, 2019 तक कुल 50 पूर्व सांसद ऐसे थे, जिन्होंने अपने सरकारी बंगले खाली नहीं किए थे। कई बार इन लोगों को लीगल नोटिस दिया जा चुका था। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के सूत्रों के मुताबिक, इस लिस्ट में जिन लोगो के नाम शामिल है उनमे जन अधिकार पार्टी के संस्थापक पप्पू यादव, मेघालय के मुख्यमंत्री कोर्नाड संगमा, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेता रंजीता रंजन, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल है।

इस बात पर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है कि पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी भी अपने सरकारी आवासों में बने रह सकते हैं या नहीं? सरकार 91 वर्षीय आडवाणी और 85 वर्षीय जोशी के सुरक्षा की संवेदनशीलता को देखते हुए इस सम्बन्ध में निर्णय लेगी।