मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। वहां मंदिर परिसर में उन्होंने साधु-संतों व गृहस्थ शिष्यों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 'मैं' और 'मेरा' से व्यक्ति ऊपर उठ जाएं तो उसे कभी दुख नहीं होगा। उन्होंने शिष्यों को मंत्र भी दिया और कहा की अधूरे मन से कोई कार्य न करे क्योंकि अधूरे मन से न सफलता मिलेगी, न ही अंत:करण को खुशी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जब पूर्ण मन से प्राचीन सनातन परम्परा को लोक कल्याण से जोड़ते है तो वह वैश्विक स्तर पर छा जाता है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के प्रयत्न का जिक्र किया और उन्होंने विश्व योग दिवस को इसका हाल ही का उदाहरण बताया। इस दौरान उनके साथ मंच पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. यूपी सिंह, कालीबाड़ी के महंत रविंद्र दास भी मौजूद थे।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि गुरु पूर्णिमा भारत देश की श्रेष्ठ परम्परा और प्राचीन परम्परा का द्योतक है। गुरु केवल मार्गदर्शक नहीं होता है बल्कि वह देशकाल परिस्थितियों के अनुरूप ही समाज का मार्गदर्शन कर समाज को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की श्रेष्ठ परंपरा से बहुत कुछ सीखने और जानने का मौका प्राप्त हुआ है। यह भी गुरु परंपरा की ही देन है। गोरक्षपीठ गुरु-शिष्य की उसी परंपरा का एक प्रतिक है।
योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को स्मरण किया और कहा कि वे भले ही भौतिक रूप से हमारे मध्य मौजूद नहीं है परन्तु उनकी कृपा हम सब का हमेशा मार्गदर्शन करती रहेगी।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी आह्वान किया कि स्वयं को लोक कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर ज़रूरतमंदों को इनका लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की प्राचीन विधा योग से स्वयं को जोड़ा। साथ ही 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा की शुरूआत की।