शुक्रवार को सीएम योगी ने इनकम टैक्स को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सीएम योगी ने इस मामले में कहा कि 38 सालों से राज्य सरकार अपने मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों का आयकर भरते आ रही है। 1981 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए इस व्यवस्था का सूत्र पात किया गया था। इस तथ्य के सामने आने के बाद अब ये पहली बार है कि चार दशकों से जारी इस प्रथा को योगी सरकार ने ख़त्म करने का निर्णय लिया है।
इस निर्णय पर वित्त मंत्री सुरेश कुमार का कहना है कि मुख्य मंत्री ने फैसला लिया है कि सरकार द्वारा आयकर अदा करने वाली व्यवस्था को बंद कर दिया जायेगा। अब मुख्य मंत्रियों और मंत्रियों को खुद के वेतन पर आये आयकर को खुद भरना होगा।
योगी सरकार ने कहा है कि यह व्यवस्था जो प्रदेश में “उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सेलरीज” एलाउंसेज एंड मिसलेनियस एक्ट 1981 के तहत लागू है जल्द ही इसमें परिवर्तन किये जायेंगे। इस कानून को बनाये जाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कहा था कि सरकार में अधिकांश मंत्री कमजोर आर्थिक पृष्ठ भूमि से है साथ ही उनकी आमदनी भी बहुत कम है। इसलिए उनके वेतन भत्ते पर आने वाले आयकर को सरकार वहन करेगी।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में मंत्रिमंडल आयकर का बिल करीब 86 लाख रुपये था जिसे जिसे सरकारी खजाने से चुकाया गया था। प्रतिमाह मुख्यमंत्री और मत्रियो को वेतन एक लाख 64 हजार रुपये है। जो की मूल वेतन और भत्तों को मिलाकर होता है।
आपको बता दें कि योगी सरकार में ऐसे मंत्री भी है जिन्होंने मंत्री बनने के बाद मूल वेतन लेने से इंकार कर दिया। जी हाँ रवींद्र जसपाल ने पिछले दिनों हुए मंत्रिमडल विस्तार में शपथ ली थी कि वह अपना मूल वेतन नहीं लेंगे तब से वह अपना वेतन नहीं लेते है।