सोशल मीडिया पर केरल सरकार द्वारा जारी की गई एक राजपत्र अधिसूचना उनकी ही छीछालेदर करा रही है। अगस्त 2019 में जारी हुए इस राजपत्र में असिस्टेंट सर्जन और कैजुयलिटी मेडिकल अधिकारी के आवेदन माँगे गए हैं- केवल उन अनुसूचित जाति के लोगों के, जिन्होंने ईसाई धर्म अपनाया।
बता दें की ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। SCCC श्रेणी के लिए विशेष तौर पर जारी यह तीसरी अधिसूचना है- क्योंकि SCCC वर्ग के लोग, यानि कि आदिवासी और जनजातीय लोग, जो हिन्दू से ईसाई बने है, उतने हैं ही नहीं, जितने की सरकार चाहती है। इन्हीं रिक्तियों को भरने के लिए इससे पहले भी सरकार 2 बार अधिसूचना जारी कर चुकी है और उनमें तब भी इस विशेष बिंदु का उल्लेख किया गया था- कि आवेदक हिन्दू धर्म छोड़ कर ईसाई बना हो। साल 2014 के दिसंबर में इन पद को भरने के लिए पहली नोटिफिकेशन आई थी, दूसरी 2016 में और तीसरी अब फिर आई है अगस्त 2019 में। विशेष तौर पर हिन्दू धर्म छोड़ कर ईसाई बनने वालों के लिए सुरक्षित किए गए इन पदों का वेतन ₹45,800 से ₹89000 है।
लोगों ने अब इस मामले के प्रकाश में आने के बाद आवाज़ उठानी शुरू की है कि केरल सरकार आखिर कैसे आस्था और उपासना-पद्धति के आधार पर भेदभाव कर रही है और उन लोगों को कैसे नौकरी की भर्तियों में प्राथमिकता दे रही है, जो हिन्दू से ईसाई बन गए। लेकिन इस मामले में चौंकने जैसा कुछ भी नहीं है- क्योंकि केरल सरकार में तो ऐसे लोगों के ‘कल्याण’ के लिए एक पूरा विभाग है जिन्होंने हिंदू धर्म त्यागकर ईसाई पंथ अपनाया है। इस विभाग का नाम “केरल राज्य अनुसूचित जातियों और अनुशंसित समुदायों से ईसाई विकास निगम”। निगम– अर्थात कम्पनी, जैसे NTPC (राष्ट्रीय ताप-विद्युत ऊर्जा निगम) सरकारी कंपनी है, ONGC सरकारी तेल कंपनी है।