जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म होने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में उसका विभाजन होने से जहाँ पूरे देश में तो खुशी का माहौल है वहीं स्थानीय नेताओं का गुस्सा थम ही नहीं रहा। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वही लोग होने वाले है। यह अंदेशा है कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद अब केंद्र सरकार स्थानीय नेताओं की शानो-शौकत कम कर सकती है।

स्थानीय नेता यह जानते है की अब उनकी शानो-शौकत कम होने वाली है जिसके कारण ही वह भयभीत है। इसलिए वहां के नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया है। इतना ही नहीं सरकार के इस फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती ने तो धमकी तक दे डाली। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसके लिए भारत को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के नेता अभी तक सरकारी खर्च पर ही शानो-शौकत की जिंदगी व्यतीत कर रहे थे। सरकारी बंगलों पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे कई नेताओं का बहुत लंबे वक्त से कब्जा है। सरकारी बंगलों को संवारने के लिए महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने राज्य के बजट से करोड़ों रुपये खर्च किये हैं। इन नेताओं ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि एक ऐसा समय आएगा जब उनसे उनका सरकारी बंगला तक छिन जायेगा।

यही नहीं, इन नेताओं के बंगलों में कार्य करने वाले लोगों को भी सरकार की ओर से वेतन दिया जाता है।  बता दें की राज्य के सड़क और भवन विभाग ने महबूबा के पिता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निजी घर को मोटी रकम खर्च कर पुनर्निर्मित किया गया। उनका निजी घर श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम में मौजूद है।