सालों पुराने चले आ रहे अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई पूर्ण हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले चालीस दिनों से इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई हो रही थी, हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से दलीलें दी गईं, साथ ही अदालत में इस पर बहस भी हुई। इस मामले की बहस बुधवार को शाम 5 बजे खत्म हुई और सर्वोच्च न्यायलय ने अपना फैसला रिजर्व रखा है । हर किसी की नज़र अब केवल इस मामले के फैसले पर टिकी है।
इस मसले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ ने सुना और वह अब इस ऐतिहासिक फैसले को लिखने वाले है। इस मामले पर उम्मीद जताई जा रही है कि 1 महीने के भीतर फैसला आ सकता है। लेकिन अदालत की तरफ से फैसले की कोई तारीख अभी निश्चित नहीं की गई है। इस मसले पर दोनों पक्षों के वकील यह दावा कर रहे हैं कि फैसला उनके पक्ष में आने वाला है।
इस मामले पर बुधवार को बहस समाप्त हुई है तो सर्वोच्च अदालत की तरफ से समस्त पक्षों को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ हेतु 3 दिन का समय दिया गया। पक्षकारों को अगले 3 दिन में लिखित हलफनामा अदालत में सौपना होगा। गुरुवार को इस मुद्दों पर विचार करने के लिए मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ सुप्रीम कोर्ट चैंबर में बैठ कर मामले पर विचार करेगी। आज इस दौरान सभी जजों में अयोध्या केस को लेकर चर्चा हो सकती है ।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की आखिरी सुनवाई हुई जिसमे सभी पक्षों ने अपनी अंतिम दलीलें दीं। सुबह में हिंदू पक्षकारों ने अपनी दलीलें दी और उसके बाद सबसे आखिरी दलील मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने दी। हिंदू पक्षकारों की ओर से ऐतिहासिक ग्रंथों, भावनाओं ,ASI की रिपोर्ट का हवाला दिया। साथ ही विवादित ज़मीन पर अपना हक जताया। दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष की ओर से हिंदू पक्षकारों की दलीलों को राजीव धवन ने गलत बताया और प्रत्येक दलील का तीखा जवाब दिया।