पाकिस्तान पर गहराए आर्थिक संकट के बारे में अब प्रधानमंत्री इमरान खान काफी चिंतित नज़र आ रहे हैं। उन्होंने 10 जून को देश को सन्देश दिया तथा बताया कि कैसे पिछले 10 सालों में देश का कर्ज बढ़कर 30,000 अरब रूपये हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को टैक्स से जो 4000 अरब रूपये प्राप्त होते हैं उनमें से आधे कर्ज की क़िस्त चुकाने में ही ख़त्म हो जाते हैं। अपने सन्देश में उन्होंने पाकिस्तानियों से अपील की कि वे ईमानदारी से अपना टैक्स भरें। इसके अलावा प्रधानमंत्री इमरान खान ने लोगों से अपील की कि वे अपनी अघोषित संपत्ति का ब्यौरा दें, नही तो सख्त कार्यवाही की जायेगी।

पाकिस्तान में बिगड़े आर्थिक हालात

बजट से पहले आने वाले आर्थिक सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था की बुरी स्थिति जाहिर हो गई है। पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर इस साल 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।  यहाँ पर उद्योगों की विकास दर घटकर महज 1.4 प्रतिशत रह गई है। अगर देश में महंगाई की बात की जाए तो यह काफी तेजी से बढ़ रही है।  देश में महंगाई दर 9 प्रतिशत ऊपर चल रही है तथा बेरोजगारी भी मुँह फाड़ रही है। आईएमएफ के अनुसार पाकिस्तान का वित्तीय कोष ख़त्म होने के कगार पर है। विश्व बैंक ने अनुमान के अनुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आने वाले समय में और गिरेगी।

पाकिस्तान की आर्थिक हालातों के बिगड़ने की वजह इमरान सरकार की नीतियों को माना जा रहा है। मौजूदा सरकार के आईएमएफ से राहत पैकेज के लिए समय पर उचित फैसले नहीं लेने के कारण निवेशकों में संदेह पैदा हुआ। पाकिस्तान की इस आर्थिक तंगी की वजह भारत के साथ उसके रिश्ते भी हैं। पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर बहुत सख्त रुख इख़्तियार किया हुआ है। भारत ने पाकिस्तान से होने वाले आयात पर 200 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है और उससे मोस्ट फेवर्ड नेशन देश का दर्जा भी छीन लिया है। भारत ने पाकिस्तान से आने वाले सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद कपास, ताजे फल और खनिजों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है जिससे कारण वहां के धंधे मंद पड़ गए हैं।

क्या मिल पायेगी पाकिस्तान को कोई राहत

पाकिस्तान को आईएमएफ से 6 अरब डॉलर की आर्थिक मदद मिलने की संभावना है। ये रकम 3 साल की अवधि में पाकिस्तान को दी जा सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान को एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक से भी करीब 3 अरब डॉलर की सहायता मिल सकती है।

पाकिस्तान की बड़ी चिंता

पाकिस्तान आईएमएफ से आर्थिक मदद जुटाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी भी उसको FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) का डर सता रहा है।

FATF  के द्वारा आतंकी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर निगरानी रखी जाती है। यदि कोई देश आतंकियों की मदद करता है उसे तय नियमों के तहत ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। जब कोई देश एक बार ब्लैक लिस्ट में चला जाता है तो उसे आईएमएफ या विश्व बैंक से ऋण नही मिल सकता। अभी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में है। FATF की आगामी बैठक 16 से 21 जून के बीच ओरलेंडो में होने वाली है।

इस बैठक में यदि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है जो उस पर आफत का पहाड़ टूट सकता है। पाकिस्तान को जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन के द्वारा लाये गए एक प्रस्ताव के तहत जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। FATF के कुल 36 सदस्य हैं। यदि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आना है तो उसे 15 वोट चाहिए। लेकिन ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए उसे महज 3 वोट चाहिए।