अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हुए ऐतिहासिक फैसले पर जहाँ कुछ दिनों तक हर तरफ से ख़ुशी जताई जा रही थी वहीं अब इस फैसले को लेकर मुस्लिम समुदाय दो फाड़ होती नजर आ रही है। कुछ मुस्लिम पक्ष जहाँ इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार कर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं तो वहीं एक्का दुक्का मुस्लिम संगठनों द्वारा इस मामले पर नाखुशी जताते हुए इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही जा रही है।

बता दें की सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने यह साफ कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा साथ ही साथ बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी पुनर्विचार याचिका नहीं दायर करने की बात साफ़ कर दी है। पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) तथा जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका करने की बात कही है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मसले पर लखनऊ में मीटिंग किया और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ रिव्यू पिटीशन फाइल करने का फैसला लिया है। इस विषय पर देवबंद उलेमा जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की पैरवी पर आने के बाद बरेलवी उलेमा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। इत्तेहादे मिल्लत कौंसिल के पूर्व महानगर अध्यक्ष इफ्तखार कुरैशी ने इस मसले पर कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो कदम बढ़ाया है वो संविधान के दायरे में है। हिन्दुस्तान के हर नागरिक को संविधान का अधिकार है।