गुरुवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आतंकी हिंसा के साये और ज़बरदस्त सुरक्षा इंतज़ाम के मध्य केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। जम्मू-कश्मीर 6 अगस्त को संसद से पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार 114 सीटों की विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा जबकि बिना विधानसभा वाला लद्दाख सीधे केंद्र से शासित प्रदेश बनेगा। ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि किसी राज्य को बांटकर 2 केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया जा रहा है।

गृहमंत्रालय सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए 31 अक्टूबर को नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर के शपथ ग्रहण के साथ समारोह की शुरुआत होगी। पहले श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल जी सी मुर्मु को पद और गोपनियता की शपथ दिलाएंगी फिर वह हेलीकॉप्टर द्वारा लेह जाएंगी और वहां पर राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर की शपथ दिलाएंगी। जम्मू में शीतकालीन राजधानी होने के बाद भी पुनर्गठन का सारा समारोह श्रीनगर में रहेगा। इसके लिए अर्धसैनिक बल, सेना, और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

जम्मू-कश्मीर में देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन ही इस पुनर्गठन कानून को लागू करने का निर्णय लिया गया था। 5 और 6 अगस्त को केंद्र के अनुच्छेद 370 ख़त्म करने और जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के पश्चात वहां लगातार संचार व्यवस्था सहित कई तरह की बंदिशें भी लगाई गई हैं। परन्तु स्थानीय लोगों को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।