यह तो सब जानते हैं कि भारत में जो वामपंथ है वो वैश्विक वामपंथ से बहुत अलग है।  जहाँ विश्व में वामपंथ का मतलब है दवे कुचले लोगों को उठने में मदद करना वहीं भारत में इसका मतलब सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धर्म का विरोध बन के रह गया है। इसी लिए भारत के वामपंथी भी वही भाषा बोलते हैं जो कट्टर और जिहादी इस्लामिक संगठनों से सम्बन्ध रखने वाले लोग बोलते है।  इन दोनों में ही हिन्दू धर्म से सख्त नफ़रत देखने को मिलती है। इन्हीं गुणों ने परिपूर्ण हैं द वायर वेबसाइट की पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी जो हिन्दुओं को नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ती और इसके लिए किसी भी हद तक जा सकती है। हाल ही में इन्होने इसी कारण से एक फ़ेक न्यूज़ भी फैलाया है।

आरफ़ा खानम शेरवानी ने एक ट्वीट करते हुए बताया कि गोरखपुर शहर में जो योगी आदित्यनाथ का मठ है वो दरअसल किसी मुस्लिम शासक ने दान में दिया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा की वे गोरखपुर में हूँ- इमामबाड़े में। साथ में उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ का मठ, जिसके वह मठाधीश हैं, एक मुसलमान नवाब आसिफ़-उद्-दौला के ‘अहसान’ से उनके द्वारा दान की गई जमीन पर बना है। इसका मतलब हुआ की वे अपनी इस ट्वीट से हिन्दुओं को ये बता रहीं थी की उनके मंदिर और मठ मुसलमानों के जमीन पर है, वे अघोषित तौर पर हिन्दुओं को उनके ‘शासित’ स्टेटस की याद दिला रही थी।

बहरहाल कुछ ही देर में आरफा का ये ट्वीट गलत निकला। एक प्रसिद्द ट्विटर हैंडल ट्रू इंडोलॉजी ने आरफ़ा खानम के ट्वीट पर एक के बाद एक ट्वीट कर फैक्ट-चेक करना शुरू किया। उन्होंने यह दिखाया कि कैसे यह मंदिर कम-से-कम 800 साल पुराना है, जबकि शेरवानी जी के प्रिय नवाब आसिफ़-उद्-दौला केवल सवा दो सौ साल पहले के।

उन्होंने अलग-अलग किताबी और आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया आदि का सन्दर्भ देकर आरफा खानम के झूठ के गुब्बारे को पंचर कर दिया। साथ ही यह भी बताया कि इस अफ़वाह की शुरुआत कहाँ से हुई।