कुतुबमीनार का सच 900 साल बाद आया सामने, मंदिरों को तोड़कर कुतुबुद्दीन ने बनाई थी मस्जिद

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Nikhil Talwaniya
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कुतुबमीनार का सच 900 साल बाद आया सामने, मंदिरों को तोड़कर कुतुबुद्दीन ने बनाई थी मस्जिद

दिल्ली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल इस्लाम मस्जिद के स्तंभों पर देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां और मंदिरों जैसी नक्काशी दिखाई देती है। यह इस बात की गवाही दे रही है कि इसे मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था। यहाँ पूर्व में मस्जिद के पिछले हिस्से में नाली के ऊपर लगी एक मूर्ति को लेकर विवाद भी हो चुका है। जिसके बाद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने लोहे के जाल द्वारा मूर्ति को ढक दिया है। साथ ही मस्जिद के आसपास के क्षतिग्रस्त भाग से मूर्तियां भी निकली हैं।

यह मस्जिद विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त कुतुबमीनार के परिसर में स्थित है, जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का स्मारक है। इसका इतिहास बहुत ही पुराना है। इतिहास कारों के अनुसार, दिल्ली पर कब्जा करने के बाद इसका निर्माण 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था और इसका कार्य 1198 में पूर्ण हुआ।

पुरातात्विक दस्तावेज़ों में यह स्पष्ट तौर पर वर्णित है कि 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मस्जिद का निर्माण कराया था। इतिहास कार इन्हीं मंदिरों के नक्काशीदार स्तंभों और अन्य वास्तुकला संबंधी खंडों द्वारा इसका निर्माण कराए जाने का दावा करते हैं। आज भी इसके स्तंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। इस मस्जिद का काफी भाग ढह चुका है, लेकिन मस्जिद का जो हिस्सा बचा है पर्यटकों का वह ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर ही लेता है। अधिकतर मूर्तियों को इसमें क्षतिग्रस्त किया जा चुका है।  

हिंदू संगठनों का यह दावा है कि जहां मस्जिद है, यहां पर भी पहले मंदिर था। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. विनोद बंसल का कहना हैं कि यह पहला स्थान नहीं है, जहां मंदिर था देश में 30 हजार ऐसे हिंदू स्थान हैं, जिन्हें तोड़कर मुस्लिम मान्यताओं को मानने वालों के केंद्र बनाए गए हैं।

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