पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल शहीद हो गए। मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को अब्दुल राशिद गाजी समेत अन्य आतंकवादियों की पुलवामा में छुपे होने की खबर मिली थी। मेजर ढौंडियाल आंतकवादियों को मारने के लिए अपनी टीम के साथ रात में ही निकल पड़े। फिर जहाँ आतंकवादी छुपे थे वहां पर गोलीबारी शुरु हो गई। जिसमे मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को सीने और गले में गोली लगी। जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई।

सोमवार की शाम को मेजर का पार्थिव शरीर देहरादून लाया गया था। मंगलवार को उनकी अंतिम यात्रा रखी गयी थी। मेजर की अंतिम यात्रा के लिए काफी संख्या में लोग शामिल हुए। सेना के जवानों ने अपने कंधे पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में मेजर का शव लेकर जब उनके घर पहुंचे तो अपने बेटे को देखकर उनके परिजन बेजार रो पड़े। सुबह से ही जहां घर में सन्नाटा सा पसरा था, वहीं एकाएक कोहराम सा मच गया। इस पूरे दृश्य को देख कर वहां उपस्थित आम लोगों की आँखें भी आंसुओं से भर गए थे।

जैसे ही मेजर की पत्नी ने तिरंगे से लिपटे अपने पति के ताबूत को देखा उसकी आँखें नम हो गई। इस दौरान वो अपने हाथों से ताबूत को बार बार छू रही थीं। फिर उन्होंने अपने पति को सैलूट किया और उनके ताबूत तो चुमकर I LOVE YOU कहा। बता दे मेजर की शादी को बस 10 महीने ही हुए थे।

इस अंतिम यात्रा में हलकी फुलकी बारिश हो रही थी मानो मेजर के जाने से आसमान की आँखें भी नम थीं। इस दौरान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी यहां मौजूद थे। यात्रा के बाद हरिद्वार में मेजर का अंतिम संस्कार कर दिया गया।