ग्वालियर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजा बाबू सिंह ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को जागरूक करने के लिए गीता वितरण का जरिया चुना है। इसके लिए वे बीते दिन वे ग्वालियर की सेंट्रल जेल गए थे। वहां पर उन्होंने सभी वर्ग और धर्म के लोगों को गीता और एक माला दी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजा बाबू सिंह स्कूल के बच्चों से लेकर तो सभी उम्र और वर्ग के लोगों को जागरूक कर रहे है। यही नहीं वे इस विषय में स्कूल के बच्चों से भी चर्चा करते है।
All inmates in Gwalior Central Jail, irrespective of their religion, have shown willingness to read Shrimad Bhagwad Gita.https://t.co/GlGK26hO4Q
— India Today (@IndiaToday) October 9, 2019
ग्वालियर की सेंट्रल जेल में हत्या के जुर्म की सजा काट रहे अकील पठान को जब गीता दी गई तो उन्होंने इसका स्वागत किया और इसे पढ़ने की इच्छा भी जाहिर की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अकील को जब गीता की प्रति दी गई तो उन्होंने कहा धर्म हमेशा अच्छी चीजें सिखाता है। वो जेल में रहकर किताबें पढ़ता रहता है और मुस्लिम होने के नाते वो अपने मजहब की किताबें भी पढ़ता रहा है। लेकिन अब उसे गीता मिली है, जिसे पढ़ने का वो इच्छुक है। वो गीता में दिए उपदेशों को समझने का और उन पर अमल करने की कोशिश करेगा।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजा बाबू सिंह ने मीडिया से चर्चा की और कहा "लोग अपने बुरे कर्मों के कारण अपराधी बनते हैं और फिर उन्हें जेल आना पड़ता है। गीता उन लोगों को आध्यात्म के प्रति जागृति और धार्मिक दिशा दिखाती है जो अपने पथ से डगमगा गए हैं।"
Gwalior ADG’s Gita awareness campaign: Muslim murder convict in jail takes up Gita reading, believes religion uniteshttps://t.co/CqPvgho2NT
— OpIndia.com (@OpIndia_com) October 9, 2019
ग्वालियर की सेंट्रल जेल में आयोजित इस कार्यक्रम में वृंदावन के एक आध्यात्मिक गुरु आनंदेश्वर दास चैतन्य ने भी धार्मिक जीवन के बारे में जेल में मौजूद कैदियों को बताते हुए कहा "गीता सिर्फ़ एक धार्मिक किताब नहीं है, यह एक आध्यात्मिक विकास है जिसे मनुष्य को जीवन के संविधान के रूप में स्वीकार करना चाहिए। जो देश के संविधान के ख़िलाफ़ जाता है, वो जेल में जाता है। इसी तरह जो आध्यात्म के संविधान का उल्लंघन करता है, वो इस जीवन चक्र में फँस जाता है।"
जानकारी के अनुसार ग्वालियर की सेंट्रल जेल में 3,396 अपराधियों में से 164 महिलाएं और उनके 21 बच्चे है। लगभग सभी ने अपने मजहब से ऊपर उठकर गीता पढ़ने की इच्छा जाहिर की है।