ईवीएम और वीवीपैट में पर्ची मिलान को लेकर 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में विपक्ष की 21 पार्टियों ने 50 प्रतिशत ईवीएम के वीवीपैट से मिलान की मांग की थी। देश के शीर्षस्थ सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान को लेकर दायर समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अदालत अपने आदेश को संशोधित करने के लिए तैयार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को ख़ारिज करने के साथ ही विपक्ष की पार्टियों को लोकसभा चुनाव के बीच में करारा झटका लगा है।

इस सुनवाई के दौरान चंद्रबाबू नायडू, डी. राजा, संजय सिंह और फारूक अब्दुल्ला अदालत में मौजूद रहे। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले प्रत्येक विधानसभा के पांच बूथों की ईवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था। याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने। अभी तक चुनाव आयोग (Election Commission) केवल 4125  ईवीएम और वीवीपैट का मिलान कराता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 20625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा। पहले वीवीपैट पेपर स्लिप मिलान के लिए प्रति विधानसभा क्षेत्र में केवल एक ईवीएम लिया जाता था। हालांकि अब ये संख्या बढ़कर 5 हो गई है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि जब चुनाव आयोग ने उनकी बात नहीं सुनी थी तो वे यहां आए, लेकिन अब वह फिर चुनाव आयोग जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी), शरद पवार (एनसीपी), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), शरद यादव (एलजेडी), अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), अखिलेश यादव (सपा), डेरेक ओ'ब्रायन (टीएमसी) और एम. के. स्टालिन (डीएमके) की ओर से दायर की गई है। चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी पर वोट से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ईवीएम से छेड़छाड़ कर इसका इस्तेमाल वोट हासिल करने में कर सकती है।