महाराष्ट्र में महीने भर चली राजनीतिक उठापटक के बाद पिछले 28 नवंबर को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिल कर सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे पहली बार सीएम बने। अभी उद्धव को सीएम बने दो हफ्ते भी ठीक से नहीं बीते हैं पर गठबंधन के दलों के बीच खींचतान नजर आने लग गई है। नागरिकता संशोधन बिल पर जिस तरह से शिवसेना ने पहले लोकसभा में भाजपा का साथ दिया और राज्यसभा में वाकआउट करके भाजपा की राह आसान की उससे कांग्रेस नाराज़ है और शुरूआती दिनों में ही आई ये नाराज़गी इस बात का सबूत है कि यह गठबंधन शायद ही ज्यादा दिन तक बनी रहे है। ऐसी स्थिति में भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने का एक नया फार्मूला बताया है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने का नया फार्मूला कल राज्यसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद एक ट्वीट के माध्यम से दिया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'ये अच्छी बात है कि शिवसेना ने अपने हिंदुत्व विचारधारा को पीछे नहीं छोड़ा है। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ शिवसेना ने वोट नहीं किया। ये समय है कि बीजेपी और शिवसेना फिर से बातचीत शुरू करे। वो चाहे तो सीएम का पोस्ट ढाई साल तक के लिए रख सकते हैं। '
ग़ौरतलब है की शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल के पक्ष में वोटिंग की थी परन्तु राज्यसभा में शिवसेना के सांसद वोटिंग के पहले वॉक आउट कर गए। राज्यसभा में वोटिंग से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने शिवसेना पर तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि 'मान्यवर लोकसभा में शिवसेना ने इस बिल का समर्थन किया था, मैं सिर्फ इतना ही जानता चाहता हूँ, महाराष्ट्र की जनता भी जानना चाहती है कि एक रात में ऐसा क्या हुआ कि आज शिवसेना ने अपना स्टैंड बदल लिया?'
अंदरखाने में क्या हुआ ये तो किसी को नहीं पता पर शिवसेना ने जिस तरह से लोकसभा में बिल का समर्थन कर के राज्यसभा में अपने पांव खींचे हैं उससे उनके समर्थकों में गलत संदेश जाएगा। इससे शिवसेना अपने आप में कन्फ्यूज नजर आएगी। महाराष्ट्र में दो हफ्ते पुरानी सरकार को इतनी समस्याएं पेश आ रही है ऐसे में शिवसेना भी इसका समाधान सोच रही होगी और इसका समाधान पुनः भाजपा और एनडीए में वापसी ही हो सकती है।