कभी “सास भी कभी बहु थी” सीरियल से दर्शकों के दिल में जगह बनाने वाली स्मृति ईरानी आज भाजपा का एक चर्चित चेहरा हैं। समय-समय पर वे अपने बेबाक अंदाज़ के कारण सुर्ख़ियाँ बटोरती हुई देखी जाती हैं। मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उनके 5 वर्ष पूरे होने वाले हैं। आइये जानते हैं एक टीवी कलाकार से केंद्रीय मंत्री बनने तक का उनका सफ़र कैसा रहा।

स्मृति ईरानी का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ था। स्मृति के दो बहने हैं और वे बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई होली ‘चाइल्ड ऑक्जिलियम स्कूल’ दिल्ली से की थी। इसके बाद उन्होंने “स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग” दिल्ली विश्वविद्यालय में भी दाख़िला लिया था। मोदी सरकार में जब उन्हें मानव संसाधन मंत्री बनाया गया तो उनकी शिक्षा को लेकर उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा।

‘आतिश’ और ‘हम हैं कल आज और कल’ के साथ स्मृति ने छोटे परदे पर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। उन्हें एकता कपूर के सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहु थी’ से काफी लोकप्रियता मिलने लगी। इससे पहले उन्हें एकता कपूर की टीम की ओर से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था।

स्मृति ईरानी के अनुसार टीवी ने उन्हें राजनीति में आने के लिए मंच प्रदान किया है। 20 वर्षों तक टीवी इंडस्ट्री में रही स्मृति ईरानी ने इसके लिए टीवी इंडस्ट्री और एकता कपूर के प्रति अपना आभार प्रकट किया है। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया था कि जब कई लड़कियों के साथ ऑडिशन देने पर एकता की टीम में उन्हें सेलेक्ट नही किया तो एकता ने आगे आकर उन्हें एक शो के लिए चुना था।

‘क्योंकि सास भी कभी बहु थी’ के लिए स्मृति ईरानी को 8 स्टार परिवार अवार्ड, 4 इंडियन टेली अवार्ड और 5 इंडियन टेलीविजन अकादमी अवार्ड भी मिले हैं। इसके अलावा वे मिस इंडिया प्रतियोगिता में भी भाग ले चुकी हैं। स्मृति ने धार्मिक टी वी सीरियल ‘रामायण’ में सीता का रोल भी किया था। इसके अलावा उन्होंने ‘तीन बहुरानियां’, ‘मेरे अपने’, ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ और ‘विरुद्ध’ जैसे टी वी सीरियल में भी काम किया है।

2001 में स्मृति ने एक पारसी उद्यमी जुबिन ईरानी से शादी कर ली थी। उनका एक बेटा और एक बेटी है। स्मृति की एक सौतेली बेटी भी है जिसका नाम शानेल है। शानेल की माँ का नाम मोना है जो उनके पिता जुबिन से अलग हो चुकी हैं।

स्मृति ईरानी ने 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी। अब वे भाजपा का बड़ा चेहरा बन चुकी हैं। 2014 के चुनावों में अमेठी से राहुल गांधी को कड़ी टक्कर देकर उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता का भी बखूबी प्रदर्शन किया है। वे 2019 के चुनावों में भी राहुल गांधी को चुनौती देने की तैयारी में हैं। समय-समय पर वे राहुल गांधी पर हमला बोलकर उनकी अमेठी में स्थिति को कमज़ोर करने का प्रयास कर रही हैं। अब ये देखना दिलचस्प है कि अमेठी की जनता किस नेता के हाथ में अपने क्षेत्र का भविष्य देना चाहते हैं।