कांग्रेस के गढ़ अमेठी में राहुल गांधी को चित करने वाली स्मृति ईरानी आयरन लेडी बनकर लोगों के समक्ष आयी हैं। वे भाजपा नेता और बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान के अंतिम संस्कार में शामिल हुई तथा उनकी अर्थी को कंधा दिया। स्मृति ईरानी उनके परिजनों से भी मिलीं और उनको सांत्वना दी।

सुरेंद्र सिंह की बरौलिया में उनके घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या के बाद उनका परिवार गहरे शोक में डूबा है। इस घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। गोलियों से घायल होने के बाद उन्हें अमेठी के एक अस्पताल में भर्ती के जाया गया, यहाँ के डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ रेफर किया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इस घटना की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ आईजी को अमेठी भेजा है।

2019 के लोकसभा चुनावों में स्मृति ईरानी के लिए सुरेंद्र सिंह अमेठी में प्रचार कर रहे थे। सुरेंद्र सिंह के बेटे का कहना है कि उनके पिता की हत्या भाजपा का प्रचार करने के कारण कांग्रेसियों ने की है। स्मृति ईरानी ने अपने ऐतिहासिक जीत का श्रेय सुरेंद्र सिंह को दिया है और अपनी जीत को उनकी जीत बताया है।

स्मृति ईरानी ने कहा कि वो सुरेंद्र सिंह के हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने के लिए आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगी। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्हें पार्टी के कार्यकर्ता की मौत पर बेहद दुःख है और वे हत्यारों को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे। उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार सुरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में 5 लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है। नसीम, वसीम, गोलू, धर्मनाथ और रामचंद्र के खिलाफ धारा 302 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

अपने कार्यकर्ता के शव को कंधा देते हुए स्मृति ईरानी की फोटो को इंटरनेट पर खूब शेयर किया जा रहा है। लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ने की स्मृति ईरानी की इस प्रतिबद्धता को लोगों के द्वारा काफी सराहा जा रहा है। अपने कार्यकर्ता और अमेठी के लोगों से जुड़ने के उनके जुनून के कारण ही वे अमेठी में राहुल गांधी से ज़्यादा विश्वसनीय नेता के रूप में उभरी हैं।

स्मृति ईरानी ने अमेठी के जनता के दिल में जगह बनाने का एक भी अवसर अपने हाथ से जाने नही दिया। अमेठी में गाँव के एक खेत में आग लगने पर वे तुरंत घटना स्थल पर पहुंची और हैंडपंप चलाकर पानी भरा। उन्होंने फायर ब्रिगेड के साथ आग को बुझाने में भी सहयोग किया था। वे केंद्र की योजनाओं को अमेठी की जनता तक पहुँचाने के लिए भी लगातार सक्रिय रहीं।