आप सोच रहे होंगे बिना मालिक के कोई दुकान कैसे हो सकती है पर यह सच है केरल के कन्नूर के एक गाँव वन्कूलाठुवायल में एक स्टॉल है जहाँ दैनिक जरूरत की हर चीज उपलब्ध है। इस स्टॉल की ख़ास बात यह है की यहाँ कोई भी दुकानदार नही रहता। जिसे भी कोई सामान खरीदना होता है वो इस दुकान पर आकर सामान पर लिखी हुयी कीमत  के हिसाब से उतने पैसे दुकान पर रखे एक बॉक्स में रखकर सामान लेकर चले जाते है। उन्होंने कितने पैसे रखे है इसकी भी कोई निगरानी नही करता है।

इस दुकान का नाम प्रतीक्षा है इसकी शुरुआत 1 जनवरी 2019 को एनजीयो जनशक्ति द्वारा की गयी है इस दुकान में रोजमर्रा के मिलने वाले सामान को ऐसे लोग तैयार करते हैं जो बिस्तर से नहीं उठ पाते। इस तरह की दुकान खोलने का आइडिया खलील नामक एक शख्स को आया और उन्होंने ही जनशक्ति में काम करने वाले सुकुनन से बात की तब यह दुकान शुरू की गई दरअसल खलील 23 साल तक खाड़ी के देशों में बतौर पेंटर काम कर चुके हैं एक दुर्घटना में उनकी पीठ में गंभीर चोट आ गयी थी और इसी एनजीओ के माध्यम से उनका इलाज कराया गया था। एक लंबा समय बिस्तर पर बिताने के दौरान वह रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें तैयार करते थे जिसे गांव वाले खरीदने आते थे यही से ये विचार खलील के दिमाग में आया।

इसी तरह का एक स्टोर स्विटजरलैंड में है जिसे ऑनेस्टी शॉप के नाम से जाना जाता है। इस दुकान से प्रतिदिन औसतन 750 रूपये की कमाई हो जाती है इस दुकान की एक और खास बात यह है की आज तक इसमें किसी तरह की चोरी नही हुयी है। सुकुनन कहते हैं कि एनजीओ की शुरुआत 1978 में हुई थी। इसका लक्ष्य लोगों को शिक्षित करना था एनजीओ काफी समय से बीमार लोगों को दवा उपलब्ध कराने का काम भी कर रहा है।