‘जो श्री राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं’ कह कर शिवसैनिक ने छोड़ा उद्धव ठाकरे का साथ

Go to the profile of  Nikhil Talwaniya
Nikhil Talwaniya
1 min read
‘जो श्री राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं’ कह कर शिवसैनिक ने छोड़ा उद्धव ठाकरे का साथ

मुख्यमंत्री पद की लालच में शिवसेना ने अपनी हिंदुत्ववादी विचारधारा को ताक पर रखते हुए विरोधी विचारधारा वाले कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। शिवसेना सुप्रीमों उद्धव ठाकरे के इस निर्णय से कई शिवसैनिक भी नाराज हैं। इन्हीं में से एक शिवसेना नेता ने अपना इस्तीफ़ा भी दे दिया है।

शिवसेना के पदाधिकारी रमेश सोलंकी ने पार्टी के विचारधारा से भटक जाने के कारण का हवाला देते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने अपनी बातें सोशल मीडिया साइट पर भी रखी हैं।

ट्विटर पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर के रमेश सोलंकी ने इसकी जानकारी दी।  उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा "मेरा इस्तीफा, मैं बीवीएस / युवासेना में अपने सम्मानित पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूं। मैं उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे का शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने मुंबई, महाराष्ट्र और हिंदुस्तान के लोगों के लिए काम और सेवा करने का अवसर दिया।"

उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा की "यह सब मेरे लिए साल 1992 में श्री बाला साहेब के निर्भीक नेतृत्व और करिश्मा की छत्रछाया में शुरू हुआ।12 साल की उम्र में मैंने बालासाहेब की शिवसेना के लिए काम करने के लिए अपना दिल और आत्मा दे दिया। आधिकारिक रूप से वर्ष 1998 में मैं शिवसेना में शामिल हुआ और तब से बालासाहेब के हिंदुत्व की विचारधारा के साथ विभिन्न पदों पर अपनी क्षमताओं के साथ काम करते हुए हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई बीएमसी / विधानसभा / लोकसभा चुनाव आदि में केवल एक सपने और एक उद्देश्य के साथ काम किया है हिन्दू राष्ट्र और कांग्रेस मुक्त भारत।"

उन्होंने आगे लिखा की "लगभग 21 साल हो गए। किसी भी पद या टिकट की मांग नहीं की। दिन और रात मैंने पार्टी के आदेशों का पालन करने में बिताया। शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने और शिवसेना सीएम बनने के लिए बधाई और शुभकामनाएं। लेकिन मेरी आत्मा और विचारधारा मुझे कांग्रेस के साथ काम करने की अनुमति नहीं देती है। मैं आधे मन से काम कर सकता हूं और यह मेरे पद, मेरी पार्टी मेरे साथी शिवसैनिक और मेरे नेता के लिए उचित नहीं होगा।"

अपने आखिरी ट्वीट में उन्होंने लिखा की "मैं बहुत भारी मन के साथ पार्टी से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ। एक कहावत है कि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे भागते हैं लेकिन मैं बुलंदियों पर पार्टी को छोड़ कर जा रहा हूँ। मैं तब छोड़ कर जा रहा हूँ जब पार्टी सरकार बनाने वाली है। मैं अपने आदर्शों और विचारधारा को साथ लेकर पार्टी से निकल रहा हूँ।"

सोशल मीडिया पर शिवसेना नेता के इस कदम की खूब तारीफ हो रही है।

GO TOP