भारत को महाशक्तिशाली बनाने के लिए 2019 की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के दो सर्विलांस सैटलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे हैं। इसमें से एक सैटलाइट को तो ए-सैट मिसाइल को लक्षित करने के लिए भेजा गया। इतना ही नहीं अंतरिक्ष में सुरक्षा बलों की निगरानी की क्षमता में वृद्धि करने के लिए इसरो अभी 5 और सैन्य उपग्रह (अडवांस्ड मिलिट्री सैटलाइट्स) लांच करने वाला है। इन उपग्रह का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में देश की सामरिक संपदा को और मज़बूती देना होगा। इस साल इसरो 4 रिसैट सैटलाइट्स और 1 अडवांस कार्टोसैट-3 सैटेलाइट लांच करने वाला है।

आपको जानकारी दे दें की 2016 में पाक अधिकृत कश्मीर में हुई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान पुरानी रिसैट-सीरीज की सैटलाइट्स के जरिये भेजी गई तस्वीरों का उपयोग किया गया था। जिसकी वजह से दोनों स्ट्राइक बेहद सफल रहे थे।

इसरो अब देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहा है। इसरो पहले साल में केवल एक से दो सैन्य उपग्रह ही अंतरिक्ष में भेजा करता था परन्तु अब पाकिस्तान के बढ़ते आतंक को देखते हुए अंतरिक्ष में भारत को और मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

इसरो चेयरमैन के. सिवन ने कहा की, ' हमने इस साल उपग्रह और रॉकेट दोनों को मिलाकर कुल 33 अभियान को लांच करने का लक्ष्य रखा है। मई में पहले पीएसएलवी- 46 रॉकेट से रिसैट- 2B को अंतरिक्ष में भेजेंगे उसके बाद जून के चौथे सप्ताह में पीएसएलवी- C47 से कार्टोसैट- 3 को लांच किया जायेगा।’ उन्होंने बताया की कार्टोसैट- 3 एक ऐसा उपग्रह है, जिसको दुनिया में सर्वोत्तम माना जाता है।  ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि यह उपग्रह 0.2 मीटर (20 सेंटीमीटर) के रेजॉलुशन तक जूम करने की क्षमता रखता है।' इस उपग्रह की मदद से छोटी से छोटी चीजों की तस्वीरें भी बहुत साफ तरीके से ली जा सकेगी।

सिवन ने जानकारी दी की जुलाई में रिसैट-2BR1, अक्तूबर में रिसैट-2BR2, नवंबर में रिसैट-2B लांच किए जाएंगे। जिसमे रिसैट-2B तो बादलों के पार भी तस्वीरें आसानी से ले सकता है। फिर सितंबर में जियो-इमेजिंग सैटलाइट-1, नवंबर में जीसैट-2 भी अंतरिक्ष में भेजे जाने का लक्ष्य रखा गया है। जीसैट के जरिये हर दूसरे दिन सेना किसी इलाके का ब्योरा आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

बता दें की इस साल सैटेलाइट लांच के अतिरिक्त इसरो चंद्रयान-2 मिशन और मिनी-पीएसएलवी या एसएसएलवी का पहला डेमॉन्स्ट्रेशन परीक्षण भी करने वाला है।