सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संविधान की धारा 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है ।
मुख्य न्यायाधीश राजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी के भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के समक्ष याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की।
बता दें की भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है और राज्य के लिए कानून बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति को सीमित करता है।
बीजेपी ने 8 अप्रैल को लोकसभा चुनावों के लिए जारी किये अपने घोषणापत्र में संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का वादा किया था। घोषणापत्र में लिखे शब्दों के अनुसार, "हम धारा 370 पर जनसंघ के समय से अपनी स्थिति को दोहराते हैं।" गौरतलब है की भाजपा जब जनसंघ हुआ करती थी तब से वे इस धारा का विरोध कर रही है।
भाजपा की घोषणापत्र में कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों में, केंद्र ने निर्णायक कार्रवाई और दृढ़ नीति के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए "सभी आवश्यक प्रयास" किए थे।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों ने इसके संबंध में भाजपा के विरोध का विरोध किया।
धारा 370 की खास बातों में जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास दो नागरिकता होती है एक जम्मू-कश्मीर की दूसरी भारत की। जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा है। अलग राष्ट्रध्वज होता है। देश के बाकी राज्यों में जहाँ विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होता है तो वहीं जम्मू-कश्मीर में यह 6 साल का होता है। जम्मू-कश्मीर में भारतीय राष्ट्रध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं।