रेलवे सुरक्षा बल के द्वारा एक ख़ास पहल की जा रही है, जिसके तहत जनरल बोगी में सीट के लिए होने वाली धक्का मुक्की और लड़ाई झगड़े को रोकना संभव होगा। मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से लखनऊ तक चलने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में यह प्रयोग सफल रहा है। यात्रियों को अपनी सीट के लिए लड़ना न पड़े इसके लिए बायोमेट्रिक मशीन लगाई जायेगी। जनरल बोगियों में घुसने के लिए तैयार भीड़ को नियंत्रित करने का यह बहुत कारगर उपाय है। रेल मंत्री पीयूष गोयल के निर्देश के बाद आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के द्वारा ये कदम उठाया गया है।
मीडिया से बातचीत के दौरान आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि मुंबई के चारों स्टेशनों पर ये बायोमेट्रिक मशीनें लगा दी गई हैं। ट्रेन में चढ़ने वाली भीड़ के उपद्रव को रोकने के लिए अब सभी ट्रेनों के जनरल बोगी में प्रवेश के लिए बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जाएंगी।
सीटें बिक जाती थीं
दिल्ली और मुंबई स्टेशन पर यात्रियों की भयंकर भीड़ के कारण कुली और सिपाही यात्रियों से पैसे लेकर सीटों की बिक्री करने लगते हैं। इन स्टेशनों पर लोकल बोगी में सवार होने के लिए कई यात्री इंतजार करते रहते हैं। जब ट्रेन आती है तो भगदड़ मच जाती है।
स्टेशन पर कुलियों और आर पी एफ के सिपाहियों पर आरोप लगते हैं कि वे कुछ पैसे लेकर यात्रियों को सीटें बेच देते हैं। ऐसे में उन लोगों को अंदर नहीं घूसने दिया जाता था, जिन्होंने पैसे नहीं दिए हैं। उन्हें आखिरी में ही बोगियों के अंदर जाने दिया जाता था।
इस समस्या को देखते हुए आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बायोमीट्रिक सिस्टम लागू करने की योजना बनाई। इसे ट्रायल के तौर पर पुष्पक एक्सप्रेस पर लागू किया गया। इससे भगदड़ की नौबत ख़त्म हो गई और लोग शांतिपूर्ण बोगियों में सवार होने लगे। अब इस सिस्टम को बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारियां की जा रही हैं।
बायोमीट्रिक सिस्टम कैसे काम करता है
इस सिस्टम के लागू होने पर यात्री को स्टेशन पहुंचते ही बायोमीट्रिक सिस्टम से गुजरना पड़ेगा। यहाँ जैसे ही कोई यात्री फिंगर प्रिंट दर्ज करेगा उसके लिए बोगी में सीट रिज़र्व हो जायेगी। इसके बाद यात्री को स्टेशन पर रुके रहने की आवश्यकता नही है। जब ट्रेन आएगी तो फिंगर प्रिंट मैच के जरिये उसे बोगी में रिज़र्व सीट मिल जायेगी।
इस सिस्टम की ख़ास बात यह भी है कि इसमें बोगी की क्षमता से अधिक फिंगर प्रिंट दर्ज नही होंगे। इससे जो यात्री पहले आएगा उसी को सीट मिलने में वरीयता दी जायेगी। इससे सीट के लिए मारा-मारी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।