कांग्रेस के शासनकाल में कोंग्रेसी नेताओं ने कई बड़े बड़े घोटाले किये है जिसका ख़ामियाज़ा उन्हें अभी भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने अपने आईएनएक्स मीडिया के केस में दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी जिसे आज दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब कोर्ट से पी चिदंबरम ने तीन दिन का समय माँगा है।

फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से आईएनएक्स मीडिया को गैर कानूनी तरीकों से मान्यता दिलाने के लिए 305 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। इस मामले में पी चिदंबरम के बेटे कीर्ति चिदंबरम को सीबीआई और ईडी ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था अभी वे जमानत पर बाहर है। यह मामला वर्ष 2007 से चल रहा है और कांग्रेस के शासनकाल के चलते इस मामले में सही तरीके से कार्यवाही नहीं हो पायी थी और पी चिदंबरम ने इस केस में 24 से ज्यादा बार अग्रिम जमानत ली थी। इस बार दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकी जमानत याचिका खारिज कर जल्द ही गिरफ्तार करने का आदेश दिया है।

इस पूरे केस में ट्विस्ट तो तब आया जब आईएनएक्स मीडिया की मालकिन और इस केस की आरोपी इन्द्राणी मुखर्जी सरकारी गवाह बनी। इस केस में सीबीआई ने 2017 में फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से मिली स्वीकृति में गड़बड़ी पर एफआईआर दर्ज की थी और 2018 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इंद्राणी मुखर्जी को इस मामले में अप्रूवर बनाया गया और उनके स्टेटमेंट भी रिकार्ड किये गए थे। मुखर्जी ने सीबीआई को दी गई गवाही में बताया कि कार्ति चिदंबरम को 10 लाख रुपये दिए थे।