धार्मिक स्वतंत्रता मामले में ब्लैकलिस्ट करने पर पाक ने अमेरिका से कहा 'भारत को क्यों नहीं किया?'

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Rishabh Verma
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धार्मिक स्वतंत्रता मामले में ब्लैकलिस्ट करने पर पाक ने अमेरिका से कहा 'भारत को क्यों नहीं किया?'

पड़ोसी देश पाकिस्तान कि स्थिति दिन ब दिन और बदतर होती जा रही है। स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिजम की वजह से पाकिस्तान ने अपनी स्थिति खुद ही हर क्षेत्र में ख़राब कर ली है इसीलिए हर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होना पड़ रहा है। इसी कड़ी में एक और जगह पर पाकिस्तान को अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

दरअसल अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की सालाना ब्लैकलिस्ट जारी की है। इसी ब्लैकलिस्ट में पाकिस्तान का नाम भी रखा गया। बहरहाल अमेरिका द्वारा जारी किये गए इस ब्लैकलिस्ट पर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस कदम कि आलोचना करते हुए इसे एकतरफा और मनमानी से भरा बताया है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान को अमेरिका ने पिछले लगातार दो सालों से इस ब्लैकलिस्ट में रखा हुआ है। अमेरिका द्वारा जारी की गई ब्लैकलिस्ट में पाकिस्तान के साथ साथ नौ अन्य देशों को भी रखा गया है जहाँ धार्मिक आजादी का व्यवस्थित रूप से उल्लंघन किया जा रहा है और इस कारण से उस देश में धार्मिक आजादी को लेकर चिंताजनक स्थिति बनी हुई है। बता दें कि जिस देश को पिछले साल ब्लैकलिस्ट किया गया था और इस साल नहीं किया गया वो है सूडान।

गौरतलब है कि पाकिस्तान के बनने के बाद से ही वहां पर रहने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादतियों का जो दौर शुरू हुआ वो अब तक चल रहा है इसीलिए कभी जो हिन्दू, सिख और ईसाई आबादी पाकिस्तान में अच्छी संख्या में मौजूद थी आज वो बहुत कम हो गई है और जल्द ही इनके खत्म होने की भी संभावनाएं जताई जा रही है।

बता दें कि कई सालों तक अमेरिका ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार के बाद भी इस सूची में नहीं डाला था क्योंकि तब पाकिस्तान के साथ अमेरिका के हित जुड़े हुए थे पर पिछले कुछ सालों में जब पाकिस्तान ने चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाई तो साल 2018 में पहली बार पाकिस्तान का नाम ब्लैकलिस्ट में डाला गया था।

इस मसले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "पाकिस्तान का नाम उन देशों की सूची में शामिल है जिन्हें धार्मिक आजादी को लेकर प्रतिबंधित किया जाएगा।" इस पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार बयान जारी करते हुए कहा, "यह घोषणा ना केवल पाकिस्तान की जमीनी हकीकत से कोसों दूर है बल्कि पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। अमेरिकी प्रतिनिधमंडल चुनिंदा देशों को टारगेट कर रहा है और इससे शायद ही धार्मिक आजादी के मकसद को पूरा करने में मदद मिलेगी।"

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