इस साल के अंत से स्मार्टफोन पर रास्ता या लोकेशन ढूंढ़ने के लिए अमेरिका के ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम के स्थान पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा विकसित 'नाविक' (NavIC) का उपयोग किया जा सकेगा।
भौगोलिक स्थिति तथा मापन के लिए मोबाइल तथा अन्य दूरसंचार उपकरणों हेतु चिपसेट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी क्वॉलकॉम ने इसरो के नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम का परीक्षण पूर्ण कर लिया है। 'नाविक' इसरो द्वारा स्थापित उपग्रहों के तंत्र पर कार्य करता है यह भारतीय उपमहाद्वीप में जीपीएस के विकल्प के तौर पर विकसित किया गया है।
राजधानी के एयरोसिटी में सोमवार से शुरू हुये तीन दिवसीय भारतीय मोबाइल कॉफ्रेस के दौरान क्वालकॉम के स्नैपड्रैगन प्लेटफॉर्म पर 'नाविक' का पहला प्रदर्शन किया जायेगा। इसरो ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिलकर क्वालकॉम ने अपना नया चिपसेट प्लेटफॉर्म विकासित किया है और उसका परीक्षण भी पूर्ण कर लिया है। उसने जानकारी दी कि यह चिपसेट प्लेटफॉर्म 'नाविक' को सपोर्ट करता है। इस साल नवंबर से मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों के लिए यह चिपसेट उपलब्ध होगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने बताया कि देश के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग की नाविक हमारी सोच को गति देने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस प्रणाली को हम दैनिक इस्तेमाल में लाने और सबके लिए सुलभ बनाने के लिए उत्सुक हैं। क्वालकॉम के साथ सहयोग कर मोबाइल प्लेटफॉर्म पर 'नाविक' को लाने में इसरो को प्रसन्नता है। इससे देश के लोग लाभांवित होंगे।
'नाविक' के उपयोग के लिए इसरो से प्रौद्योगिकी खरीदने वाली क्वालकॉम पहली बड़ी चिपसेट कंपनी है। इसके द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में 'नाविक' के प्रसार, ऑटोमोटिव और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) से जुड़े समाधान ढूंढ़ने, भौगोलिक स्थिति के मापन को बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी।