2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद बीजेपी का उत्साह चरम पर है। भाजपा लगातार दावा कर रही है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। बीजेपी के इन दावों के बीच कमलनाथ ने रविवार के दिन विधायकों की बैठक की। इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और कमलनाथ के बेटे व सांसद नकुलदास भी मौजूद थे। इस बैठक मैं उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि “प्रदेश में कांग्रेस सरकार को लंगड़ी-लूली, बैशाखी के सहारे चलने वाली अल्पमत की सरकार बताया जा रहा है। आप लोगों ने ही मुझे मुख्यमंत्री बनाया है। अब आप ही निर्णय करें कि क्या मैं इस कुर्सी को छोड़ दूँ?”

जवाब में कांग्रेस, सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने कहा कि हमें आप पर भरोसा है और हम सभी एकजुट होकर आपके साथ खड़े हैं। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सोशल मीडिया पर फर्जी न्यूज़ या मैसेज शेयर किये जा रहे हैं। उन्होंने इनसे सावधान रहने की हिदायत दी।

मीटिंग के दौरान कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि वे फ्लोर टेस्ट के लिए भी तैयार हैं। विधायक आरिफ मसूद, हरदीप सिंह डंग, कुणाल चौधरी तथा बसपा के संजीव सिंह कुशवाह ने कहा कि हमें सरकार पर पूरा भरोसा और ये सरकार 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी। निर्दलीय विधायकों केदार डाबर और सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने भी कमलनाथ सरकार के प्रति अपना समर्थन दिखाया।

कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में भी मंत्रियों ने कमलनाथ सरकार की स्थिरता पर भरोसा व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए फ्लोर टेस्ट भी करा सकते हैं। इस बैठक में मंत्रियों ने व्यापम, सिंहस्थ, ई-टेंडर और माखनलाल यूनिवर्सिटी में हुए घोटालों की जांच करने का सुझाव भी दिया।

इससे पहले भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा ख़रीद फरोख्त की राजनीति पर विश्वास नही करती है। उन्होंने कहा कि इस नीति से न तो वो सरकार बनाना चाहते और न ही सरकार को गिराना चाहते। उन्होंने कांग्रेस में भीतरी खींचातानी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वे तो सरकार नही गिराना चाहते पर यदि ये सरकार अपने आप गिर जाये तो बात अलग है। ग़ौरतलब है कि लोकसभा 2019 के एग्जिट पोल अनुमानों के आने के बाद से ही भाजपा लगातार मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को अल्पमत वाली सरकार बता रही है।