जम्मू कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद एक तरफ जहाँ वहां पर मौजूद आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की गति तीव्र हो गई है वहीं दूसरी तरफ वहां के अलगाववादी नेताओं पर भी नकेल कस दिया गया है। इसी कड़ी में अब जम्मू-कश्मीर के नेताओं को मिल रही सरकारी सुविधाओं में कटौती शुरू हो गई है।  

जम्मू-कश्मीर को दो भागों में विभक्त कर के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने के कारण वहां के राजनीतिज्ञों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बाकी नेताओं के अलावा इस लिस्ट में प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद का नाम भी शामिल है।

बता दें की गुलाम नबी आज़ाद को श्रीनगर के वीवीआईपी इलाक़े में एक बंगला मिला हुआ था। उन्हें ये बंगला बिना किसी किराए के मुफ्त में दिया हुआ था। जम्मू कश्मीर के राज्य रहते सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को ये सुविधाएँ ताउम्र मिलती रहती पर अब स्थितियां बदल चुकी है। जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया गया है इसीलिए अब गुलाम नबी आज़ाद को ये बंगला खाली करना पड़ेगा।

बता दें की नवंबर 2005 से लेकर जुलाई 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे  गुलाम नबी आज़ाद श्रीनगर में नहीं रहते थे, इसके बाद भी उन्होंने गुपकार रोड के जीठयार स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक गेस्टहाउस को सालों तक अपने कब्जे में रखा। अब इसे खाली कर दिया गया है। ग़ौरतलब है की आज़ाद ‘अस्थायी निवास’ के नाम पर गेस्ट हाउस को ही अपना स्थायी बंगला बना कर रह रहे थे। गुलाम नबी आज़ाद के बाद अब महबूबा और उमर अब्दुल्ला  को भी 1 नबम्बर तक अपना बंगला छोड़ने के आदेश दे दिए गए हैं।