शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी का भाषण काम शब्दों में पर कूटनीति से युक्त था। मोदी ने 'खामोशी' के साथ ही पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया को भी कश्मीर पर साफ़ संदेश दे दिया। अपने भाषण के दौरान उन्होने कश्मीर का जिक्र न कर भी जता दिया कि आर्टिकल 370 को समाप्त करना भारत का आंतरिक मामला है और इसकी चर्चा करने की वैश्विक मंच पर कोई आवश्यकता नहीं है। अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ तकरार में शामिल होने के बावजूद मोदी ने अक्षय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, गरीबी और भारत के विकास जैसे व्यापक मुद्दों को दुनिया के समक्ष रखा।

उन्होंने कहा कि, 'हमारा मानना है कि आतंकवाद किसी एक देश के लिए बल्कि पूरे विश्व एवं मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।' 125 साल पहले स्वामी विवेकानंद के शिकागो में धर्म संसद में दिए संदेश का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति और सौहार्द ही, एकमात्र संदेश है।'

जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बोलने आए तो उन्होंने समय और शब्दों की मर्यादाएं का भी सम्मान नहीं किया और भारत के खिलाफ अपने एजेंडे को प्राथमिकता में रखा। इमरान ने दुनिया के मुसलमानों को भारत के खिलाफ उकसाने, RSS पर आरोप लगाने और यहां तक कि भारतीय मुस्लिमों को भी इमरान ने बरगलाने की प्रयास किया। इमरान के इस तरह के बर्ताव से पता चल जाता है कि चार पॉइंट्स में 56 मिनट तक बोलते हुए उन्होंने टोटल 10 बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया। इमरान तय समय से कहीं अधिक देर तक भारत के विरुद्ध केवल नफरत उगलते रहे।

जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में अपनी स्पीच में दुनिया में विकास, भागीदारी और जनहित की बात की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सामने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने पर जोर दिया।