पश्चिम बंगाल में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच राजनीतिक हिंसा थमने का नाम ही नही ले रही है। राजनीतिक झड़प के चलते हर दिन वहां किसी न किसी पार्टी के कार्यकर्ता को अपनी जान गँवानी पड़ रही है। जब से पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये गये हैं उसके बाद से ही राजनीतिक माहौल में और भी गर्मी आ गयी है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'जय श्रीराम' के नारों संग रैलियां निकालने वालो को कहा था कि 'हम यह बर्दाश्त नही करेंगे और तुम्हारी चमड़ी खिंचवा देंगे।'
पश्चिम बंगाल में सोमवार को फिर से हत्या का मामला सामने आया है जिसके बाद से सियासी गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा के आमटा स्थित सरपोटा गांव में बीजेपी कार्यकर्ता समातुल दोलुई का शव पेड़ से लटका हुआ मिला। समातुल को 'जय श्रीराम' की रैलियों में शामिल होने के बाद से ही लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं।
समातुल भारतीय जनता पार्टी का एक सक्रिय कार्यकर्ता था और उसने अपने बूथ में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को बढ़त दिलाई थी। चुनाव के तुरंत बाद समातुल के घर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़-फोड़ की गयी थी। इसके पूर्व भी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता स्वदेश मन्ना का शव अतचटा गांव में पेड़ से लटकते हुए मिला था। मन्ना ने भी कुछ दिनों पूर्व स्थानीय स्तर पर 'जय श्रीराम' के नारों वाली रैली निकाली थी।
बीजेपी नेताओं और इनके परिवार ने इस घटना के पीछे तृणमूल कांग्रेस का हाथ बताया है। बीजेपी के अध्यक्ष अनुपम मुलिक ने आरोप लगाया की, 'दोनों मामलों में, तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या की है।'
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन तमाम आरोपों को निराधार बताने में लगी हैं। तृणमूल विधायक पुलक रॉय ने भी इन घटनाओं में तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के शामिल होने की बात को नकारा है। उन्होंने कहा, 'बीजेपी हमें नीचा दिखाना चाहती है लेकिन हमारे किसी भी कार्यकर्ता का इन घटनाओं से कोई संबंध नहीं है।'