कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या वहां के अलगाववादी हैं। इन्हीं की वजह से वहां की आम जनता के मन में जहर घुलता रहता है और वे भारत के मूल्यों से खुद को दूर पाते हैं। इस अलगाववाद को वहां मौजूद अलगाववादियों की तरह वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था में मौजूद नेता भी बढ़ावा देते रहते हैं। अक्सर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके नेता भी ऐसे ऐसे बयान दे देते हैं जिससे भारत का सर नीचा हो जाता है। कल पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी एक ऐसा ही बयान दिया है जिसमे वे पाकिस्तान की तारीफ करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना कर रही हैं।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) सुप्रीमों एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने रविवार को एक तरफ जहां पाकिस्तान के वर्तमान पीएम इमरान खान की खूब तारीफ की वहीं दूसरी तरफ भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के ऊपर पर जम कर बरसी। बता दें की पाकिस्तान ने एक विश्वविद्यालय एवं एक वन अभ्यारण्य का नाम सिखों के पहले गुरु ‘गुरु नानक देव’के नाम पर रखने का निर्णय लिया है। इसी निर्णय को बहाना बनाते हुए महबूबा मोदी सरकार की तुलना इमरान सरकार से करते हुए बुरा भला कह रही थीं। महबूबा ने मोदी सरकार में कुछ इलाहाबाद जैसे शहरों को उसका प्रचीन नाम देने के निर्णयों पर तंज कसते हुए इमरान की तारीफ की।

महबूबा ने ये सब कुछ एक ट्वीट कर के कहा, अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा की, 'समय कैसे बदलता है। केंद्र की सर्वोच्च प्राथमिकता ऐतिहासिक शहरों का नाम बदलना और राम मंदिर बनाना है। दूसरी तरफ, यह देखना कितना सुखद है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक सकारात्मक कदम उठाया है। बलोकी फॉरेस्ट रिजर्व का नाम गुरु नानक जी के नाम पर रखा जा रहा है और एक यूनिवर्सिटी भी उनके नाम पर बनाई जाएगी।'

बहरहाल पाकिस्तान भारत से उठने वाले ऐसे आवाज़ों को हाथों हाथ ले कर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश में लगा रहता है। अभी हाल ही में जब अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने ‘भारत में डर लगने’ की बात कही थी तब उस पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कह दिया था की ‘इसी कारण जिन्ना ने पाकिस्तान का निर्माण करवाया क्योंकि हिंदुस्तान में मुस्लिम सुरक्षित नहीं रह सकते हैं।’

जो लोग सत्ता में रह चुके हैं वे अगर दुश्मन देशों को ऐसा मौका देते हैं तब समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। कश्मीर में फैले अलगाववाद को रोकने के लिए इस तरह के भारत विरोधी टिप्पणी करने के बजाय राष्ट्रवाद की विचारधारा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।