डॉक्टरों के साथ अस्पताल में हुए दुर्व्यवहार और मारपीट की घटना के कारण बंगाल में पिछले 5 दिनों से सभी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इसके चलते मरीज़ों को काफी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। मामले को बढ़ता देख बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ नरम पड़ गई हैं। उन्होंने हड़ताली डॉक्टरों की सभी मांगों को मानने की बात कही है। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि निजी अस्पतालों में भर्ती के लिए जूनियर डॉक्टरों का खर्चा भी सरकार ही उठायेगी। उन्होंने हड़ताली डॉक्टरों पर किसी तरह की कार्यवाही नही करने की बात भी कही और उनसे काम पर लौटने की अपील की।
हड़ताली डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आगे 6 मांगे रखी थीं:
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों पर हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करें।
- ममता बनर्जी डॉक्टर पर दिए गए अपने बयान पर बिना शर्त माफ़ी मांगे।
- इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता की जांच की जाए।
- डॉक्टरों पर हमला करने वालों के ऊपर कार्यवाही की जाये।
- डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर लगाए गए झूठे आरोपों को वापिस लिया जाये।
- अस्पतालों में सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती की जाए।
डॉक्टरों का कहना है कि वे सशर्त ममता बनर्जी से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन बातचीत की जगह हम तय करेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि इस लड़ाई में पूरा राज्य उनके साथ है। ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को बंद कमरे में मुलाकात के लिए बुलाया था, लेकिन डॉक्टरों ने मना कर दिया। ग़ौरतलब है कि ममता और डॉक्टरों की इस लड़ाई में अब तक 300 डॉक्टरों ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है।
बंगाल के डॉक्टरों का यह आंदोलन देशव्यापी रूप न ले ले इस डर के चलते ममता बनर्जी नरम पड़ गई हैं। आईएमए के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने तथा 17 जून को देशव्यापी हड़ताल के आह्वान के बीच ममता बनर्जी झुक गई हैं। आईएमए के द्वारा भी राज्य सरकार से मांग की गई है कि अस्पताल में डॉक्टरों के साथ होने वाली हिंसा के लिए कानून बनाया जाए। इस संगठन के द्वारा इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वालों को कम से कम 7 साल जेल की सजा दिए जाने की भी मांग रखी है। इस मामले में अब केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों को पत्र लिख कर कहा कि डॉक्टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
बंगाल में डॉक्टर और ममता बनर्जी के बीच ये झगड़ा अब एक दूसरे के सम्मान का विषय बन गया है। अपने दो जूनियर डॉक्टरों की पिटाई के विरोध में बैठे डॉक्टर चाहते हैं कि ममता बनर्जी खुद अस्पताल आकर डॉक्टरों से बात करें जबकि ममता बनर्जी डॉक्टरों को सचिवालय बुलाना चाहती हैं। डॉक्टर उनसे अस्पताल में ही मुलाकात करने पर अड़े हुए हैं। ममता बनर्जी ने एक उच्चस्तरीय बैठक करने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की तथा डॉक्टरों की सभी बात मानने की बात कही। लेकिन उन्होंने अभी भी डॉक्टरों से मिलने अस्पताल जाने से मना किया है। डॉक्टरों ने उनके इस रवैये को अहंकारपूर्ण बताया है।