महाराष्ट्र के शिर्डी स्थित साईंबाबा की जन्मभूमि को लेकर विवाद ने अब एक बड़ा रूप ले लिया है। इस विवाद के विरोध में शिर्डी के लोगों ने शिर्डी को बंद कर दिया है। जानकारी दे दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाथरी को साईं बाबा की जन्मभूमि बताया था जिससे शिर्डी के लोग नाराज हो गए वहीं दूसरी ओर भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल ने कानूनी लड़ाई के चेतावनी दे दी है।
बता दे कि परभणी जिले के पास स्थित पाथरी गांव शिर्डी से करीब 275 किलोमीटर दूर है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस जगह को साईबाबा की जन्मभूमि बताया और इस जगह के विकास के लिए 100 करोड़ रूपए देने के ऐलान भी कर दिया है। साईबाबा के जन्म की किसी को भी किसी प्रकार की सटीक जानकारी नहीं है परन्तु कहा जाता है कि वे शिर्डी आये और शिर्डी के ही होकर रह गए और आज शिर्डी की पहचान साईबाबा के नाम से हो रही है।
इस ऐलान के बाद शिर्डी गांव के लोग नाराज़ हो गए है जिसके बाद साईबाबा ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पाथरी के विकास से कोई आपत्ति नहीं है परन्तु उस जगह को साईंबाबा की जन्मभूमि कहना गलत है। सीएम के बयान से लोग आहत हुए है और इसी लिए शिर्डी को बंद किया गया है। हालात को देखते हुए महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति और शिवसेना की नेता निलम गोर्हे ने शिर्डी के लोगों से बातचीत की और शिर्डी बंद न करने की अपील की है साथ ही उन्होंने कहा कि इस विषय पर मुख्यमंत्री जल्द ही शिर्डी के लोगों से बातचीत करेंगे।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर राजनीति तेज हो गई है। भाजपा के सांसद सुजय विखे पाटिल ने सरकार से सवाल पूछा कि पाथरी को साईबाबा का जन्मस्थान बताने का मुद्दा नई सरकार के आने के बाद ही क्यों उठ रहा है। शिर्डी के लोग इस मामले के लिए कानूनी मदद भी ले सकते है। तो दूसरी तरफ एनसीपी नेता दुर्रानी अब्दुल्लाह खान ने भी दावा किया कि "साईंबाबा का जन्म पाथरी में हुआ है, शिर्डी साईबाबा की कर्मभूमि है और पाथरी उनकी जन्मभूमि है इन दोनों स्थानों का अपना अपना महत्व है। शिरडी के लोगों को धन की समस्या नहीं है। वह पाथरी को साईबाबा का जन्म स्थल मानने को तैयार नहीं हैं। शिर्डी के निवासियों को डर है कि यदि पाथरी प्रसिद्ध हो गया तो श्रद्धालुओं की भीड़ वहां चली जाएगी।"