11 नवम्बर 1988 को मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्मदिन है। इनके जन्मदिन के दिन देश में वर्ष 2008 से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में बनाया जाता है। अबुल कलाम भारत की आजादी के बाद से 1958 तक देश के शिक्षा मंत्री रहे चुके है। इन्होने शिक्षा मंत्री बनने के बाद मुस्लिम समाज और देश में मौजूद सभी धर्मों को शिक्षा की और अग्रसर करने के लिए बहुत कार्य किये थे।

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने एक शिक्षित भारत की नींव रखी थी। इन्हे मरने के बाद भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया है। इन्होने  मुस्लिम समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए हर संभव प्रयास करे है। इन्होने आजादी की लड़ाई में भी अपना अहम योगदान दिया था। देश की आजादी के समय जो बटवारा किया गया था उस समय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में सांप्रदायिक तनाव को कम करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। ये ही थे जो अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि 'यह देश तुम्हारा है और इसी देश में तुम रहो।'

जानकारी दे दे कि अंग्रेजों के शासनकाल में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को रांची में नजरबन्द रखा गया था। नजरबंदी के समय इन्होने अंजुमन इस्लामिया समेत कई मदरसों की बुनियाद भी रखी थी।

मौलाना आजाद ने देश में कई सांस्कृतिक और साहित्यिक अकादमियों की स्थापना की थी। इन्हे शासनकाल में संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी सहित कई अकादमियों की स्थापना हुई थी। मौलाना आजाद ने ही देश का पहला आईआईटी, आईआईएससी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की स्थापना की थी। यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग की स्थापना भी इन्ही के कार्यकाल में सम्पन्न हुए थे।