10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद अर्थात राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई पूरी कर ली है। अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और उनकी टीम फैसला लिखने में व्यस्त है। बता दे कि मुख्य न्यायाधीश इस महीने 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले है जिसके कारण कयास लगाए जा रहे है कि बहुत जल्द ही इस मामले में फैसला आने वाला है।

राम जन्मभूमि का विवाद तो कई वर्षों पुराना है परन्तु इस विवाद को हवा 1992 में हुए बाबरी विध्वंस ने दी थी। भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा गुजरात के सोमनाथ मंदिर से राम यात्रा निकली गई थी तब से ही इस मामले को हवा मिली थी। यह मुद्दा भाजपा के लिए संजीवनी की तरह रहा और इसी का परिणाम है कि आज भाजपा 303 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सत्ता में है एवं वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी बन चुकी है।

पीएम मोदी उस समय की राजनीति में युवा नेतृत्व की तरह थे। भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के रूप में उन्हें पहचाना जाता था। उस समय की मीडिया के बारे में बात करे तो उस समय भी मीडिया उनके बारे में लिखा करती थी। इंडिया टुडे ने मार्च 1992 में उदय माहूरकर ने एक स्टोरी लिखी थी जिसमे पीएम मोदी के बारे में जिक्र किया था। आइये जानते है उस समय क्या सोचती थी भारतीय मीडिया?

उदय माहूरकर ने अपनी स्टोरी में "पीएम मोदी को भारतीय जनता पार्टी के नए सितारे का उदय बताया था। भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के संयोजक 38 वर्षीय नरेंद्र मोदी पार्टी में महत्वपूर्ण व्यक्ति बनते जा रहे हैं। और इसकी एक वजह भी है। जहां एक तरफ यात्रा का विश्लेषण चल रहा है वहीं, दूसरी तरफ भाजपा में चर्चा गरम है कि यात्रा को जारी रखने के लिए लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसी सभी दिग्गजों को राजी करने में भी मोदी सफल रहे।"

इसके साथ पीएम मोदी से भाजपा के वरिष्ठ नेता सलाह भी लेने लग गए थे और इसके पीछे कारण था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिये भाजपा में प्रवेश। पीएम मोदी को भाजपा में शामिल होने के बाद छह साल की कम अवधि में गुजरात पार्टी इकाई का महासचिव बना दिया गया था। अब पीएम मोदी एक राष्ट्रीय स्तर के नेता बन चुके थे।

पीएम मोदी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति और सर्वशक्तिमान छह सदस्यीय राष्ट्रीय चुनाव समिति का सदस्य भी बनाया गए था। इस समिति में भाजपा के कई दिग्गज शामिल थे। माहूरकर ने आगे लिखा "नरेंद्र मोदी आकर्षक हिंदी नारे बनाने की अपनी प्रतिभा से पार्टी छवि निर्माता के रूप में उभरे हैं। यहां तक की राजनीति के सबसे धूर्त खिलाड़ी चिमनभाई पटेल भी उनकी कुशाग्रता का सम्मान करते हैं। दोनों जब भी आमने-सामने होते हैं तो चिमनभाई उन्हें खुश रखने की कोशिश करते हैं। और वे उन भाजपा नेताओं की राह में रोड़ा बन सकते हैं जो नरम रवैया अपनाने की कोशिश में हैं।"