मंदिरों के पुनरुत्थान और मुसलमानों के कल्याण हेतु आरएसएस शुरू करने जा रहा है “मिशन कश्मीर”

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Prabhat Sharma
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मंदिरों के पुनरुत्थान और मुसलमानों के कल्याण हेतु आरएसएस शुरू करने जा रहा है “मिशन कश्मीर”

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वारा कश्मीर में मंदिरों के जीर्णोद्धार और शाखाओं के विस्तार के लिए योजना बनाई जा रही है। आरएसएस ने कश्मीर में विस्तार की योजना बनाई है। राज्य में विधान सभा क्षेत्र के परिसीमन का उसने हमेशा समर्थन किया है। परिसीमन से जम्मू क्षेत्र को ज़्यादा फायदा मिलेगा। आरएसएस के अधिकारियों के अनुसार कश्मीर में कई ऐतिहासिक मंदिर खाली पड़े हुए हैं। इस बारे में आरएसएस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जानकारी दी थी। इनके जीर्णोंद्धार करने का भी लक्ष्य रखा गया है।

जम्मू से 40 किलोमीटर दूर देविका नदी पर पुरमंडल भी एक पवित्र स्थल है। यह स्थान किसी ज़माने में संस्कृत के अध्ययन का प्रमुख केंद्र था, लेकिन अभी ये स्थान उपेक्षित पड़ा है। इसके पुनरुत्थान के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है। घाटी में रह रहे अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने के लिए आरएसएस के द्वारा 'एकल विद्यालय' की योजना की शुरुआत की है।

एकल विद्यालय योजना में एक कक्षा को एक ही शिक्षक चलाता है। ऐसी कई जगहों पर जहाँ अभी तक कोई स्कूल नहीं है वहां यह योजना सफलता के साथ कार्य करती है। इस योजना से अभी तक 6000 शिक्षक जुड़ चुके हैं। एकल विद्यालय योजना में कारगिल और लद्दाख जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।

मुसलमानों पर दिया जाएगा ध्यान

अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले मुसलमानों का जीवन काफी मुश्किलों में है। यहाँ पर शिक्षा, स्वास्थ्य और रहने-खाने की बुनियादी सुविधाओं की कमी है। इसे दूर करने के लिए आरएसएस के द्वारा यहाँ के मुसलमानों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। संघ के द्वारा 701 गाँवों में से 457 का सर्वेक्षण करा लिया गया है और कार्यकारिणी समिति गठित कर दी गई है।  

आरएसएस की कार्यकारिणी समिति ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन को 2026 तक टालने के फारूक अब्दुल्ला के कदम की आलोचना की है। उसके अनुसार क्षेत्र में शीघ्र ही परिसीमन होना चाहिए ताकि क्षेत्र के लोगों के साथ न्याय हो सके। आरएसएस ने कहा कि वह जनसंख्या के आधार पर क्षेत्र में विधानसभा सीटों की बात करने वाले लोगों के पक्ष में है। उसके अनुसार फारूख अब्दुल्ला ने घाटी में मुस्लिम वोटों को ध्यान में रखकर तथा अपने राजनीतिक दल को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से परिसीमन रोकने का कदम उठाया गया था।

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