पाकिस्तान की करतूतों को देखते हुए भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को बहुत मजबूत कर दिया है। अब भारत ने पाकिस्तान के सामने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर निगरानी के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बड़ी तैयारी कर ली है। आने वाले 10 महीनों में इसरो आठ उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ेगा। जिसमे से 5 उपग्रह केवल देश की सुरक्षा पर नजर रखेंगे। इन उपग्रहों के कार्यो के देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह देश की सीमाओं की आधुनिक तरीके से निगरानी करेंगे।

इसके लिए इस्तेमाल हुए 5 उपग्रहों में से 1 कार्टोसैट सीरीज और 4 रीसैट के उपग्रह शामिल हैं। शेष 3 उपग्रह जीसैट सिरीज़ से जुड़े हैं। बता दें की जीसैट उपग्रहों का इस्तेमाल संचार हेतु किया जाता है। इसके अलावा इनका उपयोग सैन्य बलों की सुरक्षित संचार प्रणाली के लिए भी किया जा सकता है। इन सभी उपग्रहों की लॉन्चिंग फरवरी 2020 तक पूरी होने की संभावनाएं है।

जानकारी दे दें की पाकिस्तान पर किये गए सर्जिकल एयर स्ट्राइक के लिए रीसैट और कार्टोसैट उपग्रहों की सहायता ली गयी थी।

आने वाले 10 महीनों में मई 2019 तक रीसैट-2बी, जून 2019 तक कार्टोसैट-3, जुलाई 2019 तक रीसैट-2बीआर1, सितंबर 2019 तक जीसैट-1(न्यू), अक्टूबर 2019 तक रीसैट-2बीआर2, नवंबर 2019 तक जीसैट-2, नवंबर 2019 तक रीसैट-1ए,फरवरी 2020 तक  जीसैट-32 उपग्रहों की लॉन्चिंग होगी।

इसमें रीसैट सभी प्रकार के मौसम में भी पृथ्वी की साफ तस्वीरें लेने की क्षमता रखता है। यह  प्राकृतिक आपदाओं में भी सहायता करेगा। इस उपग्रह के इस्तेमाल से अंतरिक्ष से ज़मीन तक तीन फीट की ऊंचाई तक भी उम्दा तस्वीरों को लिया जा सकता है।

जीसैट उपग्रहों का इस्तेमाल संचार के लिए होता है। इसके अलावा यह मौसम और आपदाओं का पूर्वानुमान भी लगाने की क्षमता रखता है। इसका इस्तेमाल नौसेना और वायु सेना अपने विमानों और जहाजों का नेविगेशन करने में करती है।

कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना पावरफुल है कि वह अंतरिक्ष से ज़मीन पर एक फीट से भी कम की ऊंचाई की तस्वीर ले सकता है। इसका मतलब है की वह आपके कलाई पर बंधी हुई घड़ी का समय भी देख सकता है।