भारत में मेक इन इंडिया के तहत निर्मित देश की अत्याधुनिक ट्रेन “ट्रेन 18” भारत में चलने वाली सभी ट्रेनो से बेहतर हैं। ट्रेन 18 पूर्णतः भारत में निर्मित होने वाली ट्रेन है। ट्रेन के सभी कोच वातानुकूलित है। इस ट्रेन में 16 चेयरकार कोच, 14 नॉन एग्जीक्यूटिव कोच, 2 एग्जीक्यूटिव कोच शामिल हैं। ट्रेन के एग्जीक्यूटिव कोच में 56 यात्री और नॉन एग्जीक्यूटिव कोच में 78 यात्री की बैठने की व्यवस्था हैं।

ट्रेन का कोच स्टेनलेस स्टील का बना है जिसका आधार डिजायन LHB (Linke Hofmann Busch) है। इस ट्रेन के अभी तक के निरीक्षण में इसकी रफ़्तार लगभग 180 किमी प्रति घंटा रही हैं पर यह ट्रेन लगभग 230 से 250 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने में सक्षम हैं। ट्रेन18 में यात्रियों की सुविधाओं के लिए फ्री वाई-फाई, इंफोटेनमेंट की सुविधा उपलब्ध है और जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली भी शामिल की गई है।इस ट्रेन में स्वचालित दरवाजे हैं, इसके साथ स्लाइडिंग फूटस्टेप की सुविधा भी है। ट्रेन18 का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें इंजन रिवर्सल की कोई आवश्यकता नहीं है।

उपरोक्त सुविधाओं वाली इस ट्रेन को मेक इन इंडिया परियोजना के तहत पूरी तरह से भारत में बनाया गया हैं। इस ट्रेन का बजट औसतन 100 करोड़ रुपये आया हैं जो कि इसी प्रकार की विदेशों में बनने वाली ट्रेन से बहुत ज्यादा किफायती है। इन सभी ख़ासियत के कारण कई देशों ने इस ट्रेन को खरीदने में रूचि दिखाई है।

रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश अग्रवाल के अनुसार “कई देशो ने इस ट्रेन में अपनी रूचि दिखाई है। इस बात से मुझे ख़ुशी और गर्व है कि हमारे यहाँ तैयार एक उत्पाद में इतनी रूचि दिखाई जा रही हैं।” राजेश अग्रवाल जी के यह भी कहा कि “दुनिया भर में लगभग 200 अरब डॉलर का रोलिंग स्टॉक बाजार है और हम इसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी चाहते है।”

विश्व भर में भारत में बनी ट्रेन18 जैसी ट्रेनों के निर्माण में लगभग 250 करोड़ रूपये की लागत आती है है जो भारत के 100 करोड़ की लागत से काफी काम है इसलिए भी विश्व के कई देश इस ट्रेन को खरीदने में रूचि दिखा रहे हैं।