अभी कुछ ही हफ्ते बीते हैं जब श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा के चौक बाज़ार में एक लस्सी विक्रेता भारत यादव द्वारा लस्सी के पैसे मांगने पर विशेष समुदाय के उन्मादी भड़क उठे और हमला कर दिया। बाद में उपचार के दौरान उस लस्सी बिक्रेता की मौत हो गई थी। पर इस मामले पर कोई हाय तौबा नहीं मची और इसे तथाकथित मॉब लिंचिंग भी नहीं बताया गया। पर ऐसा ही एक मामला झारखंड में घटा जहाँ चोरी के शक में एक युवक को भीड़ नई पीट पीट कर मार दिया।
दोनों मामलों को मीडिया में मिली जगह भी अलग अलग तरीके से मिली। जहाँ मथुरा में घटे मामले में किसी भी धर्म का एंगल नहीं जोड़ा गया वहीं झारखंड के मामले में मारे गए युवक तबरेज़ अंसारी का धर्म सामने आ गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि झारखंड का युवक मुस्लिम था तो वहीं मथुरा का लस्सी बिक्रेता भारत यादव एक हिन्दू था।
मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से ऐसा खेल कई सालों से चल रहा है। पर केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद ऐसे मामलों को हवा दे कर यह साबित करने की कोशिश की जाती है की भाजपा सरकार में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। जबकि होना तो यह चाहिए की ऐसे हर मामले को क़ानून सांगत तरीके से देखना चाहिए ना की धार्मिक चश्मे से।
धार्मिक चश्मे से किसी भी अपराध को देखने से देश का साम्प्रदाइक माहौल बिगड़ता है। ये जानते हुए भी ना सिर्फ कुछ नेता बल्कि बड़े बड़े मीडिया ग्रुप भी इसी एजेंडे पर काम करते हुए नजर आते हैं।
ऐसे मीडिया ग्रुप्स पर भी सरकार को कार्यवाई करनी चाहिए जो ऐसे मामलों में धार्मिक एंगल को उजागर करते हैं और देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं।