21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में आतंकी हमला हुआ था जिसमे कई लोगो की जाने गयी थी। इस हमले के दोषियों की पहचान कर ली गयी है लेकिन इससे बहुत ही आश्चर्य जनक सच सामने आया है। जानकारी मिली है कि पाकिस्तान में उपस्थित हाफ़िज़ सईद का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा भारत में तो हमले करवाने की सोचता ही रहता है साथ ही साथ बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी हमलों का प्लान करता रहता है।
परन्तु भारत में तीन स्तरीय खुफिया नेटवर्क और सुरक्षा एजेंसियों के शानदार समन्वय के कारण से ही लश्कर की साज़िश सफल नहीं हो पायी है।
बता दें कि श्रीलंका में हुए हमले की जांच के दौरान इसमें नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) का हाथ सामने आया। एनआईए ने तमिलनाडु में श्रीलंका हमले से कुछ महीने पहले ही आईएसआईएस के एक आतंकी को गिरफ्त में लिया था। इस आतंकी से पूछताछ करने के दौरान ही उससे श्रीलंका के हमलों की साज़िश के विषय में पता चला। इस मसले पर श्रीलंका सरकार को भारत ने पुख्ता सबूत भी दिए साथ ही इस बात से भी आगाह किया की इन हमलों का निशाना चर्च रहेंगे। परन्तु इन हमलों को टाला नहीं जा सका और कई लोग मृत्यु के मुँह में समा गए। इन हमले के लिए एनटीजे और जहरान हाशमी को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना गया है।
लश्कर ने श्रीलंका में 2004 की सुनामी के उपरांत ही वहां अपना साम्राज्य फैलाना शुरू कर दिया था और लश्कर ने मालदीव, बांग्लादेश, मलेशिया में भी अपने नेटवर्क को फैला लिया। वह ऐसा करके भारत को चारों तरफ से घेरना चाहता था। लेकिन भारत की एजेंसियों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। तमिलनाडु और केरल में एक्टिव एनटीजे पर भी भारत नजर रखे हुए है।
जानकारी दे दें कि आतंकवाद से निपटने के लिए भारत में नई रणनीति अपनायी गई है। इसके लिए विदेश से रॉ ने सूचनाएं जुटाईं है और देश में आईबी ने काम किया। साथ ही एनटीआरओ ने डाटा और अन्य काम को मुकाम दिया। फिर राज्य पुलिस, सीआईडी और क्राइम ब्रांच सहित ही एनआईए ने मोर्चा को संभाला। उनकी नीति रही पहले पहचान करो, फिर प्रभावहीन करो और अंत में खत्म कर दो।