कांग्रेस में चल रहा अंतर्युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कुछ समय पहले कांग्रेस के कई विधायक और कई बड़े पद पर मौजूद लोगों ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। इसी कड़ी में आज कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की है। सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने बताया कि वे मुंबई के लिए काम करना चाहती है इस वजह से वे शिवसेना में शामिल हुई है। स्वयं के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद पार्टी ने आरोपियों को वापस ले लिया है जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस के प्रवक्ता रूप में कई टीवी डिबेट्स में कांग्रेस का पक्ष रखा है। बीते दिन 17 अप्रैल को उन्होंने अपने ट्विटर हेंडल के माध्यम से पार्टी के प्रति नाराजगी जताई थी। उसके बाद से उन्होंने पार्टी के पक्ष में न तो कोई बयान दिया है और न ही उन्होंने किसी डेबिट में हिस्सा लिया।

प्रियंका ने पार्टी में गुंडों को प्राथमिकता मिलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया है। प्रियंका ने अपना इस्तीफ़ा कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष प्रस्तुत किया था। इसके बाद आज सुबह प्रियंका ने अपनी प्रोफाइल से राष्ट्रीय प्रवक्ता कांग्रेस को हटा दिया है।

प्रियंका ने ट्वीट के माध्यम से मथुरा के कुछ स्थानीय नेताओं की शिकायत की थी और उन पर आरोप लगाया कि मथुरा के कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके साथ बदसलूकी की थी।

प्रियंका ने ट्वीट में बताया ‘जो लोग मेहनत कर अपनी जगह बना रहे हैं, उनके बदले ऐसे लोगों को प्राथमिकता मिल रही है। पार्टी के लिए मैंने गालियां और पत्थर खाए हैं, लेकिन उसके बावजूद पार्टी में रहने वाले नेताओं ने ही मुझे धमकियां दीं। जो लोग धमकियां दे रहे थे, वह बच गए हैं। इनका बिना किसी कड़ी कार्रवाई के बच जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।’

उपरोक्त विवाद जिसका प्रियंका ने जिक्र किया है, वह सितंबर 2018 के आस-पास हुआ था। प्रियंका के ट्वीट के साथ उन्होंने एक चिट्ठी भी प्रस्तुत की है, जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश के मथुरा में प्रियंका चतुर्वेदी पार्टी की तरफ से राफेल विमान सौदे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आई थीं, तब कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद सभी संबंधित लोगों पर कार्रवाई की गई थी। लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य की सिफारिश के बाद उन सभी को बहाल कर दिया गया था।