कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लंबी जद्दोजहद के बाद अब दोनों ने एक दूसरे से जुदा रहने का फैसला कर लिया है। गुरुवार के दिन दोनों के बीच गठबंधन की सभी संभावनाएं समाप्त हो गईं। इसकी मुख्य वजह दोनों पार्टी का अपने अपने प्रस्ताव पर अड़े रहना बताया जा रहा है। यदि कोई भी पार्टी नर्मी नही दिखाती है तो गठबंधन संभव नही है।

दिल्ली में कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करने के बाद आप के साथ गठंबधन से साफ इंकार कर दिया। इसके अलावा ये बात आम आदमी पार्टी की तरफ से भी साफ़ हो गई है कि वे कांग्रेस से 3-4 सीट वाले प्रस्ताव स्वीकार नही करेंगे अगर उन्हें दूसरे राज्यों में भी गठबंधन में शामिल नही किया गया। आप के शीर्ष नेताओं ने बैठक के बाद कांग्रेस से गठबंधन नही करने का निर्णय लिया।

पीसी चाको ने आप की तरफ से संजय सिंह से गठबंधन पर बुधवार के दिन बातचीत की थी। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी से चर्चा करने के बाद दिल्ली में कांग्रेस के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली में गठबंधन की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। पीसी चाको ने यह भी कहा कि संजय सिंह से चर्चा के बाद 3-4 फार्मूले (3 सीट कांग्रेस और 4 सीट आप) पर सहमति बन गई थी। लेकिन वे दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस से गठजोड़ करना चाहते थे जो कांग्रेस को पसंद नही था। दूसरे राज्यों में गठबंधन न होने पर आप सिर्फ 2 सीट ही कांग्रेस को देना चाहती है।

इस के मद्देनज़र अब कांग्रेस ने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय कर लिए है। अब वह सभी 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है। सिर्फ दिल्ली में गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी के 5-2 के फार्मूले को कांग्रेस ने नकार दिया। दोनों पार्टियों की तरफ से असंतुष्टि के चलते अब कांग्रेस और आप में गठबंधन की सभी संभावनाओं पर पूर्ण विराम लग गया है। अब दोनों पार्टियाँ अपना दमखम दिखाने के लिए अलग-अलग 7 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेंगी।