विपक्ष के तमाम विरोधों के बाद भी आज लोकसभा के पटल पर गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल पेश किया। इस दौरान सदन में खूब हो हल्ला हुआ। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने खूब हंगामा किया। हंगामा कर रहे विपक्षी नेताओं को अमित शाह ने करारा जवाब दिया। ख़ास कर के कांग्रेस पार्टी की उन्होंने बखिया उधेड़ कर रख दी।

दरअसल गृहमंत्री अमित शाह द्वारा नागरिकता संशोधन बिल पेश किये जाने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध किया और कहा की इस बिल के माध्यम से अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके जवाब में अमित शाह ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि "ये बिल देश के अल्पसंख्यकों के .001 फीसदी खिलाफ भी नहीं है। वॉकआउट मत करना।"

अमित शाह इस दौरान पूरे मूड में नजर आये और कहा कि "मैं इस बिल पर हर सवाल का जवाब देने को तैयार हूँ। इस बिल में कहीं भी मुसलमान नहीं लिखा हुआ है। मेरे बयान के बाद विपक्ष को भी बोलने का मौका मिलेगा। सभी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। तथ्यों को तोड़ मरोड़कर सदन को गुमराह न करें।"

इसके बाद इस बिल पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि मैं पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि ये बिल संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है। सभी ने अनुच्छेद 14 का उल्लेख किया। ये अनुच्छेद कानून बनाने से रोक नहीं सकता। पहली बार नागरिकता पर फैसला नहीं हो रहा है। 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि बांग्लादेश से आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। कांग्रेस शासन में युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दी गई।"

जब बहस के दौरान सदन में हंगामा बढ़ गया तो अमित शाह ने गुस्से में कहा कि सरकार को पांच साल के लिए चुना है, हमें सुनना पड़ेगा। बिल के तकनीकी पहलुओं पर बोलते हुए शाह ने कहा "भारत से सटे तीन देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान का प्रमुख धर्म इस्लाम है। अफगानिस्तान का संविधान कहता है कि यहां का धर्म इस्लाम है, संविधान के मुताबिक, पाकिस्तान राज्य का धर्म भी इस्लाम है। पाकिस्तान, बांग्लादेश में मुसलमान पर अत्याचार होगा? ये कभी नहीं होगा। तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की धार्मिक प्रताड़ना होती है।"

आजादी के बाद हुए देश के विभाजन कर शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि "कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया। विभाजन नहीं हुआ होता तो इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती। कांग्रेस ने हमें मजबूर किया। अगर कोई मुसलमान हमारे कानून के आधार पर अपील करता है तो उसे सुना जाएगा। चूंकि उनके साथ धार्मिक प्रताड़ना नहीं हुई है, इसी आधार पर ये बिल लाया गया है और छह धर्मों हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को नागरिकता का प्रावधान किया गया है।"