लम्बे समय से भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अज़हर को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए प्रयास किए जा रहे थे परन्तु चीन हमेशा भारत के इरादों पर पानी फेर देता था और मसूद अज़हर को बचा लेता था। परन्तु इस बार यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कौंसिल की बैठक में जैश-ए-मोहम्मद के इस मुख्य सरगना मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर ही दिया गया। वैसे ये काम इतना भी आसान नहीं था और चीन अभी भी यह करने को तैयार नहीं था और वो भारत के लोकसभा चुनावों तक इसे टालना चाहता था पर भारतीय कूटनीति और अमेरिकी दवाब ने चीन को झुकने पर मजबूर कर दिया।

बता दें की चीन मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया को भारत में लोकसभा चुनावों के खत्म होने के बाद पूरी करना चाहता था। चीन का यह प्रयास था कि किसी तरह से यह सब 15 मई के बाद ही यह प्रक्रिया खत्म हो। पर इस बार मोदी सरकार की कूटनीति की वजह से चीन की कोई चालाकी काम नहीं आ पाई और अमेरिका ने 30 अप्रैल की डेडलाइन तय कर दी। इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने में नाकाम रहने की वजह से ही चीन को यह कदम उठाना पड़ गया।

खबरों के अनुसार फ्रांस, रूस तथा इंग्लैंड चीन की डेडलाइन बढ़ाने पर सहमत हो गए थे। पर चीन इसके लिए जो अगली डेट लेना चाह रहा था, उस पर सहमति नहीं बनी पाई। इस बीच अमेरिका की ओर से अप्रैल में ही इस डेडलाइन को तय कर चीन की तरफ से लिखित आश्वासन के लिए दबाव बनाया गया था।

बहरहाल भारत में इस निर्णय का स्वागत किया गया है और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस बार ख़ुशी जताते हुए जयपुर की एक चुनावी रैली में कहा की ‘यह तो सिर्फ शुरुआत है। आगे-आगे देखिए क्या होता है।' इस दौरान उन्होंने इसे सवा सौ करोड़ भारतीयों की सामूहिक शक्ति का परिणाम बताया। साथ ही पीएम ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साथ खड़ा रहने के लिए विश्व समुदाय को देश की जनता की ओर से आभार भी व्यक्त किया।