एक ऐसे फंगस के तेजी से फैलने की खबर आ रही है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। कैंडिडा ऑरिस (Candida auris) नाम का ये फंगस रक्त प्रवाह में जाकर शरीर को भयानक तरीके से संक्रमित कर देता है। इसके संक्रमण का प्रभाव इतना तीव्र होता है कि ये मरीज़ की मौत के बाद भी ज़िंदा रहता है। यह मरीज़ के कमरे, घर या उसके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों पर भी फैल जाता है।

माउन्ट सिनाई नामक हॉस्पिटल में इस फंगस की चपेट में आये एक बुजुर्ग की जब मौत हो गयी तो इसकी जांच में उसके कमरे की हर एक चीज़ पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया। इस फंगस को हटाने के लिए हॉस्पिटल के कर्मचारियों को स्पेशल सफ़ाई उपकरणों का प्रयोग करना पड़ा।

कैंडिडा ऑरिस फंगस के बारे में जागरूकता का अभाव भी है। सरकार और प्रभावित अस्पताल भी इस बारे में जानकारी का सार्वजनिक खुलासा करने से कतरा रहे हैं। उनको डर है कि ऐसा करने से उनका प्रचार संक्रमण के केंद्र के रूप में हो जायेगा और इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।

इस भयानक फंगस से निपटने के लिए रिसर्च की जा रही है। इसका आतंक इस तरह फैला है कि मरीज़ का इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी डर का अहसास होने लगा है। न्यूयॉर्क के मेडिकल सेंटर के एक डॉक्टर ने माना कि कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित एक 30 वर्षीय मरीज के इलाज के दौरान उन्हें डर का अहसास हुआ था।

ब्रिटेन, अमेरिका और स्पेन के बाद अब ये फंगस भारत, पकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी फैल चुका है। यह फंगस ख़ासकर उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिनकी रोग प्रतिरोध क्षमता कमज़ोर होती है। यह बच्चों, बुजुर्गों, धूम्रपान करने वालों और मधुमेह के रोगियों को जल्दी अपना शिकार बना लेता है। इस फंगस का संक्रमण होने पर मरीज़ को सामान्य लक्षण जैसे - कमज़ोरी, बुखार, दर्द आदि प्रकट होते हैं।

इस फ़ंगस पर ऐंटी फंगल दवाइयां भी बेअसर हो जाती हैं। इसलिए ये डॉक्टरों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इस विषय के जानकारों ने इस पर दवाइयों के बेअसर होने के कारणों में मुख्य एन्टी माइक्रोबायल दवाइयों के अंधाधुंध प्रयोग को माना है। इसने दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ली है जिसके कारण इससे लड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।