लंबे समय से सियासी अनिश्चितता झेल रहे कर्नाटक में भाजपा की येदियुरप्पा सरकार फिर से अस्तित्व में आ गई है। कुमार स्वामी के पद छोड़ने के बाद आज सोमवार को विधानसभा में भाजपा को बहुमत साबित करना था। लेकिन विपक्ष के द्वारा मत विभाजन की मांग नहीं रखने के कारण बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा को बहुमत मिल गया है। नए मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे हर मिनट राज्य के विकास के लिए कार्य करेंगे।

येदियुरप्पा सरकार के सामने फ्लोर टेस्ट की चुनौती थी, लेकिन उसके प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने पीछे हटते हुए इसकी मांग ही नहीं की। इसके कारण येदियुरप्पा को स्वतः ही बहुमत मिल गया है। इसके बाद नई सरकार तुरंत कार्य में भी जुट गई है। ग़ौरतलब है कि 207 सीटों वाली इस विधानसभा में भाजपा को बहुत साबित करने के लिए 104 विधायकों की आवश्यकता थी, लेकिन उसके पास फिलहाल 105 विधायक हैं।

येदियुरप्पा ने कहा था कि वे बदले की भावना से प्रेरित होकर काम नहीं करते। उन्होंने कहा कि वे किसानों के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने इससे पहले सबसे अपील की थी कि वे मुख्यमंत्री के रूप में उनके विश्वास मत प्रस्ताव का समर्थन करें।

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विश्वास मत प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा कभी भी जनता के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं। वहीं मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि यदि सरकार अच्छे काम करती है तो वे उसका समर्थन करेंगे। 23 जुलाई को उनके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाने के प्रयास तेज कर दिए थे।